बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार के निधन से पूरी फ़िल्म इंडस्ट्री शोक में डूबी है। फ़िल्म इंडस्ट्री ने कहा है कि बॉलीवुड में एक युग का अंत हो गया है।
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का निधन हो गया। जानिए, उन्होंने एक इंटरव्यू में क्यों कहा था- मैंने हमेशा अपने जूतों का साइज अपने पांव से बड़ा रखा है।
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का निधन हो गया। वह 98 साल के थे। मुंबई के पीडी हिंदुजा अस्पताल में अभिनेता का इलाज करने वाले पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. जलील पारकर ने उनके निधन की जानकारी दी।
अस्पताल ने सभी लोगों की रिपोर्ट निगेटिव बताया। राय साहब और उनकी पत्नी को खाँसी हो रही थी इसलिए उन्होंने रिपोर्ट पर विश्वास नहीं किया और दोबारे जाँच के लिए कहा। इस बार उन्हें, उनकी पत्नी और एक अन्य सदस्य को पॉज़िटिव बताया गया।
पत्रकार शेष नारायण सिंह का निधन हो गया। वरिष्ठ पत्रकार गीताश्री लिखती हैं- आज सुबह मेरे अभिभावक -मित्र पत्रकार शेष नारायण सिंह चले गए। कल उनके प्लाज़्मा का इंतज़ाम भी हो गया था। हम आश्वस्त थे कि अब ख़तरा टल गया है।
ख़बर आई थी कि अजित सिंह कोरोना से संक्रमित हो गए हैं और अस्पताल में भर्ती हैं। अजित सिंह सबको छोड़कर इस दुनिया से तब चले गए जब उनके जैसे नेता की किसानों को बहुत ज़रूरत थी।
पत्रकार अरुण पांडेय नहीं रहे। वरिष्ठ पत्रकार पंकज श्रीवास्तव लिखते हैं- सुबह से फ़ेसबुक पर शोक की एक नदी बह रही है जिसके हर क़तरे पर एक नाम है- अरुण पांडेय।
पत्रकार रोहित सरदाना का शुक्रवार को निधन हो गया। राणा यशवंत लिखते हैं- बहुत तकलीफ है। बहुत। और बहुत डर भी लग रहा है। बहुत। तकलीफ इसलिए कि एक खुशदिल, बेहतरीन, बेहद सफल और नौजवान दोस्त ऐसे झटके से निकल गया!
बनारसी गायकी का एक नक्षत्र टूटा गया। राजन जी उसी अनन्त में चले गए जहॉँ से संगीत के सात सुर निकले थे। जोड़ी टूट गयी। अब साजन जी का स्वर अधूरा रह जायगा। राजन साजन मिश्र की इस जोड़ी ने बनारस के कबीर चौरा से निकल कर दुनिया में ख़्याल गायकी का परचम लहराया।
डॉ. रमेश उपाध्याय, महानतम जनवादी लेखकों में से एक, विचारक, हरदिल-अज़ीज उस्ताद, बुद्धिजीवी, का 23-24 अप्रैल को रात लगभग 1. 30 बजे देहांत हो गया। लेखक शमसुल इसलाम की श्रद्धांजलि।
इंटरनेट के इस दौर में उत्तर प्रदेश की एक मशहूर और दिग्गज पत्रकार ताविषी श्रीवास्तव की मैं फोटो तलाश रहा था, पर नहीं मिली। इससे पता चलता है कि वह कितनी लो- प्रोफाइल रहती थी।
हमेशा हंसती रहने और कभी किसी बात का बुरा न मानें वाली ताविषी के साथ न जाने कितनी यात्राएँ कीं। कितने पत्रकारीय अभियान छेड़े। आज भी जब लखनऊ जाता सबसे पहले मिलने आतीं। उनका कोई शत्रु नहीं था।... पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा को।