टी. एन. शेषन ने मुख्य चुनाव आयुक्त बनते ही जिन सुधारों का एलान किया और जिस सख़्ती से उन्हें लागू करवाया, उसने भारतीय राजनीति की दश दिशा बदल दी। शेषन ने रविवार को अंतिम सांसें लीं।
ऐसा संयोग कम ही होता है कि किसी रचनाकार की हर रचना हमेशा आला दर्जे की, अनोखी और लाजवाब हो और कुछ भी फालतू और कामचलाऊ न लगे। खय्याम ऐसे ही दुर्लभ संयोगों से बने थे।
जेटली की छवि एक ऐसा नेता की थी जिसकी दिल्ली के पॉवर कॉरिडोर (शक्ति केंद्रों) में पहुँच थी और जो अपने साथियों को सियासी बवालों से निकाल लाने की काबिलियत रखता था।
प्रख्यात नाटककार और बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता गिरीश कर्नाड का सोमवार को 81 साल की उम्र में निधन हो गया। तुगलक जैसे नाटक लिखने वाले कर्नाड पिछले कई दिनों से बीमार थे।
कृष्णा सोबती, अज्ञेय, कमलेश्वर, राजेन्द्र यादव, निर्मल वर्मा, श्रीलाल शुक्ल, केदारनाथ सिंह और अब नामवर सिंह के रूप में हिंदी के इस हरे-भरे जंगल से एक-एक कर पुराने दरख्त ख़त्म हो चुके हैं।
नामवर सिंह परलोक लीन हो गए। ऐसा लग रहा है कि मानो मेरे भीतर कुछ टूट गया हो। कुछ अपूरणीय-सा। असहनीय-सा। यह हिन्दी आलोचना की तीसरी परम्परा का चले जाना है।
राजनीतिक साहस, संगठन-क्षमता में बेजोड़ होने के कारण जॉर्ज करिश्माई व्यक्तित्व के स्वामी थे। सामाजिक-आर्थिक न्याय के मोर्चों पर उनकी बहादुरी को देश नहीं भूलेगा।