गोगोई 25 अगस्त को कोरोना से संक्रमित हुए थे और उन्हें गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। वह कोरोना से उबर चुके थे और दो महीने बाद उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था। लेकिन 2 नवंबर को तबीयत बिगड़ने पर उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।
सोमवार सुबह उनकी तबीयत ज़्यादा बिगड़ गई थी। बीते शनिवार को दोपहर के बाद वह पूरी तरह बेहोश हो चुके थे और उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। इसके बाद उन्हें लाइफ़ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। डॉक्टरों ने बहुत कोशिश की लेकिन कांग्रेस के इस वरिष्ठ नेता को बचाया नहीं जा सका।
असम में अगले 6-7 महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में कांग्रेस को उनकी कमी खलेगी।
Shri Tarun Gogoi Ji was a popular leader and a veteran administrator, who had years of political experience in Assam as well as the Centre. Anguished by his passing away. My thoughts are with his family and supporters in this hour of sadness. Om Shanti. pic.twitter.com/H6F6RGYyT4
— Narendra Modi (@narendramodi) November 23, 2020
Shri Tarun Gogoi was a true Congress leader. He devoted his life to bringing all the people and communities of Assam together.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 23, 2020
For me, he was a great and wise teacher. I loved and respected him deeply.
I will miss him. My love and condolences to Gaurav & the family. pic.twitter.com/jTMfSyAJ6J
इंदिरा के साथ किया था काम
गोगोई छह बार लोकसभा के सांसद रहे। पहली बार वह 1971–85 तक जोरहाट और उसके बाद कलियाबोर सीट से सांसद रहे। गोगोई कांग्रेस के उन पुराने नेताओं में से थे, जिन्हें इंदिरा गांधी के साथ काम करने का मौक़ा मिला था। उस दौरान वह कांग्रेस में संयुक्त सचिव रहे थे और इसके बाद राष्ट्रीय महासचिव भी रहे। गोगोई ने पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में भी काम किया।
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