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केशव प्रसाद मौर्य को गुस्सा क्यों आता है...धर्म संसद की बातों को जायज ठहराया फिर पत्रकार का कोविड मास्क नोचा

उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने बीबीसी को दिए गए इंटरव्यू में धर्म संसद को जायज ठहरा दिया। वही धर्म संसद जिसके मंच से मुसलमानों के जनसंहार की धमकी दी गई थी।  लेकिन जब मौर्य सवालों से घिरे और उन्हें एहसास हुआ कि सब बातें गलत बोल गए हैं तो फौरन इंटरव्यू देना बंद कर दिया। माइक फेंक दिया और अपने सुरक्षाकर्मियों को बुलाकर इंटरव्यू का पूरा वीडियो डिलीट करा दिया। लेकिन बीबीसी का कैमरामैन होशियार था, उसने वो पूरा इंटरव्यू एक चिप से रिकवर कर लिया और उस इंटरव्यू को बीबीसी पर चला दिया।

बीबीसी रिपोर्टर ने केशव मौर्य से सवाल की शुरुआत अखिलेश यादव से की। मौर्य ने अखिलेश पर कथित गुंडाराज-माफियाराज का आरोप लगाया। फिर माफिया पर एक्शन, विकास दुबे एनकाउंटर और मुख्यमंत्री योगी के मथुरा से चुनाव लड़ने संबंधी सवाल होता है। वो घुमा-फिराकर जवाब देते हैं। 

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इसके बाद धर्म संसद को लेकर सवाल शुरू होते हैं। रिपोर्टर पूछता है कि हरिद्वार में धर्म संसद के मंच से हिंसा भड़काने वाले बयान दिए जाते हैं लेकिन मुख्यमंत्री चुप रहते हैं। ऐसे में इस तरह के तत्वों को और बढ़ावा मिलता है। क्या आप लोगों को इस संबंध में बयान देकर सभी धर्म के लोगों को भरोसा नहीं देना चाहिए। इस पर केशव प्रसाद मौर्य कहते हैं - बीजेपी को किसी प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है। हम सबका साथ-सबका विकास में यकीन रखते हैं। आप लोग सिर्फ हिन्दुओं के धर्माचार्यों की ही क्यों बात करते हैं। बाकी धर्मों के धर्माचार्यों ने क्या - क्या बयान दिए हैं, उन पर क्यों नहीं बात करते। जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटने से पहले जो पलायन होता था, आप उस पर बात क्यों नहीं करते। आप जब सवाल उठाओ तो सवाल एक तरफ के नहीं होने चाहिए। धर्म संसद बीजेपी की नहीं है। वो संतो की होती है। संत क्या कहते हैं, ये उनका अपना मामला है।

 

बीबीसी रिपोर्टर का अगला सवाल होता है कि विवादास्पद यति नरसिंहानंद गाजियाबाद जिले में और साध्वी अन्नपूर्णा तो अलीगढ़ में रहती हैं। ये सब इलाके यूपी में हैं। ये लोग आए दिन भड़काने वाले बयान देते हैं, इन पर यूपी सरकार कार्रवाई क्यों नहीं करती। इस सवाल  पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य तमतमा उठते हैं। वो जवाब में कहते हैं - कोई माहौल बनाने की कोशिश नहीं करते। जो उचित बात होती है, जो उनके प्लेटफॉर्म में उनको उचित लगती है, वो कहते होंगे। आप ऐसे सवाल लेकर आ रहे हैं जो राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े नहीं हैं। उन चीजों को मैंने देखा भी नहीं है जिस विषय की आप मुझसे चर्चा कर रहे हैं। लेकिन जब धर्माचार्यों की बात करो, तो धर्माचार्य केवल हिन्दू धर्माचार्य नहीं होते हैं। मुस्लिम धर्माचार्य भी होते हैं। ईसाई धर्माचार्य भी होते हैं। और कौन-कौन क्या बातें कर रहा है उन चार बातों को एकत्र करके सवाल करिए। मैं हर सवाल का जवाब दूंगा। आप विषय पहले बताते तो मैं तैयारी करके आपको जवाब देता।

विवादास्पद यति नरसिंहानंद और साध्वी अन्नपूर्णा संबंधी सवालों पर केशव प्रसाद मौर्य तमातमा जाते हैं।

बीबीसी रिपोर्टर उसके बाद केशव मौर्य को याद दिलाता है कि भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच के मामलों में राजद्रोह के आरोप में केस दर्ज किए गए। लेकिन सवाल खत्म होने से पहले मौर्य कहते हैं - राष्ट्रद्रोह अलग विषय है। आप राष्ट्रद्रोह को और जो लोगों के मौलिक अधिकार हैं, उससे मत जोड़िए। भारत में रहकर अगर कोई पाकिस्तान जिन्दाबाद का नारा लगाएगा तो उसे सहन नहीं किया जाएगा। वो निश्चित रूप से देशद्रोही की श्रेणी में आएगा और जरूर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन ये जो धर्म संसद होती है, वो सभी धर्माचार्यों की होती है। सभी सम्प्रदायों की होती है। जिनमें वे अपनी बात कहते हैं। 

इसके बाद केशव प्रसाद मौर्य बीबीसी रिपोर्टर से कहते हैं कि वो सिर्फ चुनाव को लेकर सवाल करें। रिपोर्टर अनंत झणाणे ने इस पर कहा कि ये सब चुनाव से जुड़े सवाल हैं। इस पर मौर्य भड़क जाते हैं। वो रिपोर्टर से कहते हैं, आप पत्रकार नहीं किसी के एजेंट लग रहे हैं। इसके बाद वो अपने जैकेट पर लगा माइक निकालकर फेंक देते हैं। कैमरा बंद करने को कहते हैं। फिर वो अपने हाथ से बीबीसी रिपोर्टर का कोविड मास्क खींच लेते हैं और सुरक्षाकर्मियों को बुलाकर दोनों कैमरों से इंटरव्यू का वीडियो डिलीट करा देते हैं। हालांकि वो बाद में खेद भी जताते हैं कि ऐसा नहीं होना चाहिए था।

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होशियार कैमरामैन

बीबीसी का कैमरामैन डिप्टी सीएम केशव मौर्य, उनके सुरक्षाकर्मियों से ज्यादा होशियार था। उसने दोनों कैमरों की चिप से उस वीडियो को फिर से निकाला और बीबीसी साइट पर चलवा दिया।  बीबीसी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से इस संबंध में शिकायत दर्ज कराकर नाराजगी जता दी है।

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क़मर वहीद नक़वी
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