केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एनडीटीवी के पूर्व प्रमोटरों और निदेशकों, प्रणय रॉय और राधिका रॉय के खिलाफ कथित धोखाधड़ी के एक मामले में क्लोजर रिपोर्ट दायर की है। एजेंसी ने निष्कर्ष निकाला कि उसे 2009 के लोन चुकाने में आईसीआईसीआई बैंक को हुए ₹48 करोड़ के नुकसान से संबंधित कानूनी रूप से विश्वसनीय सबूत नहीं मिल सके।
मोदी सरकार 2014 में केंद्र की सत्ता में आई। एनडीटीवी उस समय केंद्र सरकार मुखर विरोधी था। यह मामला 2017 में सामने आया जब सीबीआई ने क्वांटम सिक्योरिटीज लिमिटेड से जुड़े एक व्यक्ति संजय दत्त की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की। शिकायत में आरोप लगाया गया कि रॉय कपल से जुड़ी आरआरपीआर होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड ने इंडिया बुल्स प्राइवेट लिमिटेड से ₹500 करोड़ का ऋण लिया। ताकि वे सार्वजनिक खुली पेशकश के माध्यम से एनडीटीवी में 20% हिस्सेदारी हासिल कर सकें।
इसके अलावा 2009 में विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड से एनडीटीवी में 29% हिस्सेदारी रखने वाली इकाई से लिया गया लोन भी केंद्रीय एजेंसी की जांच का हिस्सा था। विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड उस समय रिलायंस इंडस्ट्रीज से जुड़ा हुआ था।
एफआईआर के अनुसार, आरआरपीआर होल्डिंग्स ने इंडिया बुल्स का लोन चुकाने के लिए आईसीआईसीआई बैंक से 19% प्रति वर्ष की भारी ब्याज दर पर ₹350 करोड़ का ऋण प्राप्त किया। शिकायत में दावा किया गया कि रॉय ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), स्टॉक एक्सचेंज या सूचना और प्रसारण मंत्रालय को इसकी सूचना दिए बिना आईसीआईसीआई लोन के लिए अपनी पूरी शेयरधारिता गिरवी रख दी।
सात साल से अधिक की जांच के बाद, सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट एक विशेष अदालत को सौंप दी गई है, जो तय करेगी कि रिपोर्ट को स्वीकार किया जाए या एजेंसी को अपनी जांच जारी रखने का आदेश दिया जाए।
2022 में, अडानी समूह ने शेयरधारकों को दी जाने वाली कीमत से लगभग 17% अधिक कीमत पर रॉय से शेयर खरीदकर एनडीटीवी में एक नियंत्रित हिस्सेदारी हासिल कर ली। एनडीटीवी ने पहले कहा है कि आईसीआईसीआई बैंक का ₹375 करोड़ का ऋण, जिस पर चूक करने का उस पर आरोप था, सात साल पहले चुकाया जा चुका था। कंपनी ने ईमानदारी और पारदर्शिता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए लगातार इस बात पर जोर दिया है कि उसने और उसके प्रमोटरों ने कभी भी किसी भी लोन को चुकाने में चूक नहीं की है।
अब अदालत क्लोजर रिपोर्ट की समीक्षा करेगी और इस मामले का अंतिम नतीजा देखा जाना बाकी है।
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