पूरे महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण की भयावह होती तसवीर के बीच नागपुर अस्पताल की तसवीरें परेशान करने वाली हैं। वायरल फ़ोटो में दावा किया गया है कि नागपुर के सरकारी अस्पताल में एक-एक बेड पर कोरोना के दो-दो मरीज़ों को रखा गया। जाहिर है कोरोना जैसे ज़्यादा संक्रामक बीमारी में एक बेड पर दो मरीज़ों को रखना बहुत ज़्यादा घातक है। यह रिपोर्ट उस शहर से आई है जहाँ कोरोना संक्रमण के मामले हाल के दिनों में काफ़ी ज़्यादा बढ़े हैं और हर रोज़ संक्रमण के मामले क़रीब तीन हज़ार आ रहे हैं।
नागपुर में सोमवार को भी कोरोना के 3100 नये मामले सामने आए और 55 लोगों की मौत हो गई। यहाँ अब तक क़रीब 2 लाख 22 हज़ार संक्रमण के मामले आए हैं।
अब जो तसवीरें एक-एक बेड पर दो-दो मरीज़ों की सामने आई हैं उसके बारे में दावा किया गया है कि वे नागपुर गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल यानी जीएमसीएच की हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट में कहा गया है कि तसवीरों में देखा जा सकता है कि दो-दो मरीज़ों को बेड पर रखा गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों का कहना है कि निजी अस्पतालों में महंगे इलाज के कारण लोगों की भीड़ सरकारी अस्पतालों में आ रही है। साथ ही डॉक्टर अधिक गंभीर मरीजों को जीएमसीएच में रेफर कर रहे हैं। लेकिन अस्पताल के शीर्ष चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि एक बेड पर दो मरीज़ों को रखने के हालात को ठीक कर दिया गया है।
'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार, अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक अविनाश गवांडे ने कहा, 'प्रोटोकॉल के अनुसार, सिर्फ़ कोरोना के गंभीर रोगियों और शहर के बाहर से लाए जा रहे ज़्यादातर गंभीर-बीमार लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है। जीएमसीएच में काम का बोझ बहुत अधिक है। हम बेड बढ़ा रहे हैं, लेकिन अभी स्थिति सामान्य है, हर बेड पर एक ही मरीज है।'
अस्पताल में ऐसे हालात के बीच बीजेपी नेता चंद्रकांत बावनकुले ने आरोप लगाया कि कोरोना मरीज़ों को उन वार्डों में भर्ती कराया जा रहा है जहाँ अन्य बीमारियों के मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार राज्य के एक पूर्व मंत्री बावनकुले ने कहा, 'नागपुर में बेड नहीं हैं और मौत के इस नाच में कुंभकर्ण की तरह सरकार सो रही है।' उन्होंने कहा कि जब नागपुर से महाराष्ट्र सरकार में तीन मंत्री थे, उनमें से कोई भी शहर में नहीं था। उन्होंने कहा, 'कोई योजना नहीं है और ये मंत्री परेशान नहीं हैं। वे कहीं और व्यस्त हैं।'
बता दें कि महाराष्ट्र देश में सबसे ज़्यादा कोरोना से प्रभावित राज्य है। रविवार को ही राज्य में एक दिन में 40 हज़ार से ज़्यादा संक्रमण के मामले आए थे। सोमवार को 31 हज़ार से ज़्यादा मामले आए। क़रीब हफ़्ते भर से राज्य में हर रोज़ 30 हज़ार से ज़्यादा मामले आ रहे हैं। इस बीच राज्य में 28 मार्च से ही रात का कर्फ्यू लगा दिया गया है। सार्वजनिक सभाओं पर भी प्रतिबंध लगाया जा चुका है।
इस तेज़ी से बढ़ते संक्रमण के बीच ही रविवार को हुई टास्कफ़ोर्स की बैठक में संबंधित अधिकारियों ने इस पर चिंता जताई कि कोरोना से जुड़े दिशा-निर्देशों का ठीक से पालन नहीं हो रहा है। संक्रमण की रफ़्तार पर चिंता जताते हुए टास्कफ़ोर्स के लोगों ने कहा कि इससे मरीजों के इलाज की सुविधा पर बुरा असर पड़ सकता है, जो चिंता का विषय है।
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प्रमुख सचिव (सार्वजनिक स्वास्थ्य) प्रदीप व्यास ने कहा कि संक्रमण तेज़ी से फैल रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्य सुविधाएँ, विशेष रूप से बेड, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की आपूर्ति जल्द ही कम पड़ जाएँगी। टास्क फ़ोर्स के सदस्य डॉ. शशांक जोशी ने कहा, 'लॉकडाउन अंतिम उपाय है, लेकिन हमें इस पर विचार करना होगा क्योंकि स्वास्थ्य सुविधाओं का ढांचा चरमरा रहा है। निजी क्षेत्र में कोई बिस्तर उपलब्ध नहीं है और सार्वजनिक क्षेत्र के बिस्तर भी तेजी से भर रहे हैं।'
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