मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद एकनाथ शिंदे के खिलाफ शिवसेना ने कार्रवाई तेज कर दी है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को एकनाथ शिंदे को पार्टी संगठन में नेता के पद से हटा दिया है। ठाकरे की ओर से जारी किए गए पत्र में कहा गया है कि एकनाथ शिंदे पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं और स्वेच्छा से अपनी सदस्यता छोड़ चुके हैं।
ठाकरे ने कहा है कि इसलिए वह शिवसेना प्रमुख होने के नाते अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए शिंदे को पार्टी संगठन में नेता के पद से हटा रहे हैं।
बता दें कि ठाकरे और एकनाथ शिंदे के गुट के बीच असली शिवसेना किसके पास है इसे लेकर जंग चल रही है। आने वाले दिनों में यह जंग विधानसभा से लेकर सड़क तक और अदालतों में भी लड़ी जा सकती है।
शिंदे सरकार को सोमवार को विधानसभा में बहुमत साबित करना है और ऐसे में शिवसेना के सभी विधायक किसका साथ देंगे, यह फैसला करना बेहद मुश्किल है। शिंदे गुट का कहना है कि उद्धव ठाकरे गुट के पास सिर्फ 16 विधायक हैं और बगावत करने वाले सभी विधायक शिवसेना में हैं और बालासाहेब ठाकरे के सच्चे शिवसैनिक हैं।
शिवसेना की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एकनाथ शिंदे के समर्थक विधायकों को विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने से रोकने की याचिका लगाई गई है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस पर सुनवाई 11 जुलाई को होगी जबकि एकनाथ शिंदे सरकार को सोमवार को बहुमत साबित करना है।
शिंदे गुट ने सुप्रीम कोर्ट के सामने कहा है कि उद्धव ठाकरे ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर अपने पिता बालासाहेब ठाकरे की हिंदुत्व की विचारधारा को कमजोर कर दिया है और ऐसे में एकनाथ शिंदे गुट ही असली शिवसेना है।
शिंदे को कहा तथाकथित शिवसैनिक
मुख्यमंत्री की कुर्सी से इस्तीफा देने के बाद पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को एकनाथ शिंदे को तथाकथित शिवसैनिक कहा था। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर ढाई-ढाई साल के लिए बीजेपी और शिवसेना का मुख्यमंत्री बनाए जाने के वादे को नहीं निभाने का भी आरोप लगाया था।
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