बहुमत साबित करने की चुनौती
शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के सामने अब विधानसभा में बहुमत साबित करने की चुनौती है। अजीत पवार के एनसीपी से बग़ावत करने के बाद बने राजनीतिक हालात का तो इन तीनों दलों ने मिलकर सामना कर लिया लेकिन अब विधानसभा में भी इसी एकजुटता को दिखाते हुए इन्हें इस चुनौती से पार पाना होगा। तीनों दलों के नेताओं ने मंगलवार रात को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाक़ात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया था और 166 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी राज्यपाल को सौंपी थी। 288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र की विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों की ज़रूरत है। राज्यपाल ने 3 दिसंबर तक बहुमत साबित करने के लिए कहा है।
न्यूनतम साझा कार्यक्रम किया जारी
इसके साथ ही शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) भी जारी कर दिया है। इसमें सेक्युलर शब्द पर जोर दिया गया है। इसके अलावा किसानों को राहत देने पर भी फ़ोकस है। सीएमपी में कहा गया है कि महाराष्ट्र में किसान समस्याओं का सामना कर रहे हैं और महा विकास अघाड़ी की सरकार किसानों के कल्याण के लिए काम करेगी। तीनों दलों के इस गठबंधन को महा विकास अघाडी का नाम दिया गया है।इसके अलावा सीएमपी में राज्य के लोगों को नौकरी में 80 प्रतिशत आरक्षण देने को लेकर क़ानून लाये जाने, सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों को तत्काल भरे जाने की भी बात कही गई है। सीएमपी में कहा गया है कि हमारी सरकार सभी धर्म, जाति, पंथ के लोगों के लिए काम करेगी। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि समाज के सभी वर्ग के लोगों को साथ लेकर आगे बढ़ेंगे। सीएमपी में रोजगार, शिक्षा, शहरी विकास और महिलाओं के मुद्दे पर काम करने का वादा किया गया है।
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