उद्धव ठाकरे गुट ने चुनाव आयोग से कहा है कि उसने शिवसेना का नया नाम देने और चुनाव चिन्ह बांटने के मामले में पक्षपात किया है। ठाकरे गुट ने आयोग को भेजे गए पत्र में 12 बिंदुओं का उल्लेख किया है। बताना होगा कि मुंबई की अंधेरी ईस्ट सीट के लिए 4 नवंबर को वोटिंग होनी है और इससे पहले शिवसेना के एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट के बीच चल रहे घमासान को देखते हुए चुनाव आयोग ने शिवसेना के आधिकारिक चुनाव चिन्ह धनुष और बाण को फ्रीज कर दिया था।
इसके बाद दोनों गुटों को अलग-अलग नाम आवंटित किए हैं और साथ ही अलग-अलग चुनाव चिन्ह भी दिए गए हैं।
उद्धव ठाकरे गुट ने पत्र में चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ठाकरे गुट ने कहा है कि चुनाव आयोग ने उनकी रणनीति को सबके सामने जाहिर कर दिया।
ठाकरे गुट ने कहा है कि चुनाव आयोग ने पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह का बंटवारा करते वक्त उनके साथ पक्षपात किया। इस पत्र में चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली की भी आलोचना की गई है।
ठाकरे गुट ने कहा है कि हमने चुनाव आयोग को पार्टी का जो नाम और चुनाव चिन्ह का विकल्प दिया था उसे जानबूझकर चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर डाल दिया और इससे एकनाथ शिंदे के गुट को हमारी रणनीति को समझने में मदद मिली।
ठाकरे गुट की ओर से चुनाव आयोग को चुनाव चिन्ह के विकल्प के तौर पर त्रिशूल, उगता सूरज और मशाल दिए गए थे जबकि एकनाथ शिंदे गुट की ओर से चुनाव आयोग के सामने त्रिशूल, उगता सूरज और गदा में से एक चुनाव चिन्ह देने का अनुरोध किया गया था।
इसके अलावा पार्टी के नाम के लिए भी दोनों ही गुटों के बीच शिवसेना बालासाहेब ठाकरे एक ऐसा नाम था जिसे दोनों गुटों ने चुनाव आयोग के सामने रखा था।
चुनाव आयोग की ओर से शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट को शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे का नाम दिया गया है और इस गुट को मशाल का चुनाव चिन्ह मिला है जबकि एकनाथ शिंदे गुट को बालासाहेबची शिवसेना का नाम मिला है और एक ढाल और दो तलवार का चुनाव चिन्ह दिया गया है।
शिंदे-ठाकरे गुट में तनातनी
बताना होगा कि इस साल जून में शिवसेना में हुई बगावत के बाद से ही एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के गुटों के बीच तनातनी चल रही है। पिछले महीने उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे गुट के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई थी जिसमें शिंदे गुट के विधायक सदा सरवणकर ने अपनी पिस्टल से फायरिंग कर दी थी। शिवाजी पार्क में दशहरा रैली को लेकर भी शिवसेना के दोनों गुटों के बीच जबरदस्त तनातनी हुई थी और यह मामला हाई कोर्ट पहुंचा था और कोर्ट ने उद्धव गुट के पक्ष में फैसला दिया था।
बगावत के बाद शिवसेना के 55 में से 40 विधायक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ चले गए थे। बड़ी संख्या में सांसदों, शिवसेना के जिला प्रमुखों ने भी उद्धव का साथ छोड़ दिया था।
शिवसेना में हुई बगावत के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और बीजेपी व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट पहली बार आमने-सामने आए हैं। अंधेरी ईस्ट सीट के चुनाव को जीतने के लिए दोनों गुट पूरी ताकत झोंक रहे हैं।
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