महाराष्ट्र में बीजेपी के हमले और जांच एजेंसियों की कार्रवाइयों को झेल रही शिव सेना बिहार में खुलकर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के समर्थन में आगे आई है। शिव सेना ने यह तय कर लिया है कि अब वह महाराष्ट्र से बाहर निकलकर बीजेपी का मुक़ाबला करेगी और इसीलिए वह बिहार और मध्य प्रदेश के चुनाव में ताल ठोक रही है।
बिहार की चुनावी जंग में आरजेडी का समर्थन करते हुए शिव सेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि उन्हें इस बात पर कोई हैरानी नहीं होगी अगर तेजस्वी यादव राज्य के मुख्यमंत्री बनते हैं। बिहार में चल रहे चुनावी घमासान में शिव सेना 50 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और वह बीजेपी को अधिकतम नुक़सान पहुंचाने की रणनीति पर काम कर रही है।
राउत ने एएनआई से कहा, ‘बिना किसी सपोर्ट के एक नौजवान, जिसके परिवार के लोग जेल में हैं और सीबीआई और आईटी विभाग उसके पीछे लगे हुए हैं, वह बिहार में सबको चुनौती दे रहा है।’ राउत ने कहा, ‘हर कोई जानता है कि बिहार में चुनाव के दौरान क्या हो रहा है। लेकिन फिर भी लोग भरोसा करते हैं कि चुनाव निष्पक्ष होंगे।’
चुनाव आयोग पर हमला
चुनाव आयोग के द्वारा यह कहे जाने पर कि बीजेपी का चुनाव जीतने पर बिहार में लोगों को फ्री वैक्सीन देने का वादा आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है, की बात पर राउत ने हमला तेज़ कर दिया। राउत ने चुनाव आयोग पर हमला बोला और कहा कि भारत का चुनाव आयोग बीजेपी की ब्रांच बन चुका है और आप इसके अलावा उससे कुछ अपेक्षा कर भी नहीं सकते।
नेताओं को तोड़ने में जुटे
शिव सेना और एनसीपी इन दिनों बीजेपी के बड़े नेताओं को तोड़ने में जुटे हैं। कुछ दिन पहले ही महाराष्ट्र बीजेपी के बड़े नेता एकनाथ खडसे एनसीपी में शामिल हो गए थे और अब पंकजा मुंडे के शिव सेना में शामिल होने की ख़बरें हैं। क्या पंकजा शिव सेना में शामिल हो रही हैं, इस सवाल के जवाब में राउत ने एएनआई से कहा, ‘मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। अगर कोई उन्हें पार्टी में शामिल होने के लिए कह सकता है तो वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे हैं।’ पंकजा के एनसीपी में शामिल होने की भी चर्चा है हालांकि बीजेपी उन्हें रोकने की पूरी कोशिश कर रही है और हाल ही में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया है।
उर्मिला आएंगी शिव सेना में
इसके अलावा सिने अदाकारा उर्मिला मातोंडकर का शिव सेना में आना तय हो गया है। शिव सेना ने उर्मिला को महाराष्ट्र की विधान परिषद में भेजने का फ़ैसला कर लिया है। उर्मिला को पार्टी का प्रवक्ता बनाए जाने की भी चर्चा है। पिछले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उर्मिला मातोंडकर कांग्रेस में शामिल हुई थीं लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी।
उर्मिला से पहले कांग्रेस में प्रवक्ता रहीं प्रियंका चतुर्वेदी शिव सेना में शामिल हुई थीं और पार्टी ने उन्हें प्रवक्ता और राज्यसभा का सदस्य बनाया था।
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मुंगेर की घटना पर तंज
मुंगेर में हुई घटना को लेकर भी शिव सेना ने बीजेपी पर जोरदार हमला बोला था। शिव सेना ने कहा था कि यह घटना हिंदुत्व पर हमला है। संजय राउत ने कहा था कि अगर ऐसी घटना महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल या राजस्थान में होती तो राज्यपाल और बीजेपी नेता राष्ट्रपति शासन की मांग कर देते। उन्होंने सवाल उठाया था कि बिहार के राज्यपाल और बीजेपी नेता इस घटना को लेकर सवाल क्यों नहीं उठा रहे हैं।
मुंगेर की घटना को लेकर बीजेपी बुरी तरह घिरी हुई है और उससे सवाल पूछा जा रहा है कि क्या बिहार में गठबंधन में होने के कारण वह नीतीश सरकार के ख़िलाफ़ चुप्पी साधे हुई है।
दोस्ती से दुश्मनी तक का सफर
हिंदुत्व की राजनीति करने का दम भरने वाले दल- बीजेपी और शिव सेना, लंबे वक्त तक साथ रहे। दोनों की एक ही जैसी राजनीतिक बोली थी और महाराष्ट्र में अटूट गठबंधन था। लेकिन शिव सेना इसे भांप गयी थी कि 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद से ही बीजेपी महाराष्ट्र में उसके सियासी वजूद को ख़त्म कर देना चाहती है। इसलिए, फडणवीस सरकार में साथ रहने और मोदी सरकार में भागीदारी के बाद भी वह बीजेपी पर तीख़े हमले करती रही।
अंत में, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद के लिए चले लंबे संघर्ष के बाद 2019 में यह गठबंधन टूट गया और शिव सेना हिंदुत्व की राजनीति से निकलकर सेक्युलर राजनीति करने वाले दलों से बात करने पहुंची। शिव सेना ने अपनी धुर विरोधी कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई और तीनों दलों का संकल्प है कि उनकी सरकार 5 साल का कार्यकाल पूरा करेगी। कभी दोस्त रहे ये दोनों दल आज सियासी दुश्मन बन चुके हैं।
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