महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार ने बहुमत हासिल कर लिया है। ठाकरे सरकार के पक्ष में 169 विधायकों ने वोट डाला। विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने पर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने हंगामा किया। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि विधानसभा का यह सदन नियमों के ख़िलाफ़ बुलाया गया है। फडणवीस ने कहा कि अचानक सदन बुलाना ठीक नहीं है और इसकी शुरुआत वंदेमातरम से क्यों नहीं हुई। इस दौरान बीजेपी विधायकों ने सदन में जमकर नारेबाज़ी भी की।
कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने विश्वास प्रस्ताव रखा। महाराष्ट्र विकास अघाडी की ओर से प्रस्ताव का समर्थन किया गया। प्रोटेम स्पीकर ने कहा कि जो सदस्य प्रस्ताव के समर्थन में हैं, वे हां कहें और जो विरोध में हैं वे नहीं कहें। बीजेपी के विधायकों ने हंगामा करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया। बीजेपी के विधायकों ने नारेबाज़ी करते हुए कहा कि विधानसभा में ग़लत प्रक्रिया अपनाई गई। फडणवीस ने विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति ग़लत तरीक़े से की गई है। इसके बाद विधायकों की वोटिंग करवाई गई। इसमें 169 विधायकों ने सरकार के पक्ष में वोट डाला।
महा विकास अघाडी की सरकार के पक्ष में शिवसेना के 56, एनसीपी के 54, कांग्रेस के 44 विधायकों के अलावा समाजवादी पार्टी के 2, स्वाभिमानी शेतकरी के एक, बहुजन विकास अघाडी के 3 और 8 निर्दलीय विधायकों ने वोट दिया। बहुमत परीक्षण में एआईएमआईएम के 2, सीपीएम के 1 और एमएनएस के 1 विधायक ने किसी के पक्ष में वोट नहीं दिया। बहुमत साबित करने के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बीजेपी की ओर इशारा करते हुए कहा कि सदन में वैचारिक मतभेदों को ग़लत तरीक़े से रखा गया और यह महाराष्ट्र की परंपरा नहीं है। ठाकरे ने कहा कि उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज और अपने माता-पिता के नाम से शपथ ली है और अगर ऐसा करना अपराध है तो वह यह अपराध बार-बार करेंगे।
महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं और बहुमत के लिए 145 विधायकों के समर्थन की ज़रूरत थी। महा विकास अघाडी ने सरकार बनाने का दावा पेश करते हुए 166 विधायकों के समर्थन वाला पत्र राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सौंपा था।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बृहस्पतिवार शाम को महाराष्ट्र के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। ठाकरे परिवार से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने वाले उद्धव ठाकरे पहले व्यक्ति हैं। उद्धव ठाकरे के साथ कुल 6 मंत्रियों ने शपथ ली थी। इसमें शिवसेना की ओर से एकनाथ शिंदे, सुभाष देसाई, एनसीपी की ओर से जयंत पाटिल, छगन भुजबल, कांग्रेस की ओर से बाला साहेब थोराट और नितिन राउत ने शपथ ली।
शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) में सेक्युलर शब्द पर जोर दिया गया है। इसके अलावा किसानों को राहत देने पर भी फ़ोकस किया गया है। राज्य के लोगों को नौकरी में 80 प्रतिशत आरक्षण देने को लेकर क़ानून लाने और सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों को तत्काल भरने की भी बात कही गई है। सीएमपी में कहा गया है कि महा विकास अघाडी की सरकार सभी धर्म, जाति, पंथ के लोगों के लिए काम करेगी। सीएमपी में रोज़गार, शिक्षा, शहरी विकास और महिलाओं के मुद्दे पर काम करने का भी वादा किया गया है।
10 रुपये में थाली, स्नातक डिग्री तक निशुल्क शिक्षा, शिक्षा पर बजट का 2% हिस्सा खर्च करना, सभी महानगरपालिका क्षेत्रों में 500 वर्ग फुट तक के घरों पर प्रॉपर्टी टैक्स माफ़ी जैसी कई योजनाएँ लागू करने की बात इन तीनों दलों ने अपने-अपने घोषणा पत्रों में कही थी।
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