सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली उद्धव ठाकरे की याचिका पर बुधवार को नोटिस जारी किया, जिसमें एकनाथ शिंदे गुट को आधिकारिक शिवसेना के रूप में मान्यता दी गई थी। लाइव लॉ के मुताबिक चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस पारदीवाला की 3 जजों की बेंच ने हालांकि इस मौके पर चुनाव आयोग के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
हालांकि बेंच ने उद्धव गुट को मामले के लंबित रहने के दौरान चुनाव आयोग आदेश के पैराग्राफ 133 (IV) के संदर्भ में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नाम और निशान "जलती हुई मशाल" को बनाए रखने की अनुमति दी। आयोग ने 26 फरवरी को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा उपचुनाव के मद्देनजर अंतरिम व्यवस्था की अनुमति दी थी।
शिंदे समूह के वकीलों ने भी मौखिक रूप से कहा वे अयोग्यता की कार्यवाही जारी करके उद्धव समूह के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेंगे। आदेश में वचनबद्धता दर्ज नहीं की गई थी। हालांकि, उद्धव समूह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने यह कहते हुए यथास्थिति आदेश की मांग की कि पार्टी के कार्यालयों और बैंक खातों को शिंदे समूह द्वारा ले लिया जा रहा है। लेकिन अदालत ने आदेश पारित करने से इनकार कर दिया।
लाइव लॉ के मुताबिक चीफ जस्टिस ने कहा -
“
कुछ ऐसा है जो आदेश का एक हिस्सा है जिस पर हम निर्णय ले सकते हैं। लेकिन हम फिलहाल आदेश पर रोक नहीं लगा सकते हैं। वे भारतीय चुनाव आयोग के सामने सफल हुए हैं। आगे की कोई भी कार्रवाई चुनाव आयोग के आदेश पर आधारित नहीं है। फिर आपको कानून के अन्य उपायों का पालन करना होगा।
-डी. वाई. चंद्रचूड़, चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट 22 फरवरी 2023 को सोर्सः लाइव लॉ
शिंदे की शुरुआती आपत्तियां
एकनाथ शिंदे की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने उद्धव द्वारा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाए बिना सीधे चुनाव आयोग के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आने पर आपत्ति जताई। कौल ने बताया कि उद्धव ने पिछले मौकों पर केंद्रीय चुनाव आयोग के अंतरिम आदेशों के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने उद्धव के इस तर्क को खारिज कर दिया कि उनकी याचिका सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई योग्य है क्योंकि संविधान पीठ अन्य मुद्दों पर सुनवाई कर रही है।
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