शिवेसना और बीजेपी के बीच चल रही सियासी तकरार गठबंधन टूटने के बाद भी जारी है। शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने बृहस्पतिवार को कहा है कि बीजेपी उन्हें डराने या धमकाने की कोशिश न करे और शिवसेना को उसका ख़ुद का राजनीतिक रास्ता चुनने दे। राउत ने पत्रकारों से कहा, ‘हम लड़ने और मरने के लिए तैयार हैं। लेकिन हम धमकियों और दबाव की चालों को बर्दाश्त नहीं करेंगे।’
बुधवार शाम को ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि बीजेपी ने शिवसेना के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा था लेकिन अब जिस तरह की शर्त शिवसेना ने रख दी है, वह बीजेपी को स्वीकार नहीं है। जबकि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे इस बात को दुहराते रहे हैं कि लोकसभा चुनाव के दौरान ही उनका बीजेपी से 50:50 का फ़ॉर्मूला तय हो गया था।
ठाकरे के मुताबिक़, 50:50 के फ़ॉर्मूले के तहत राज्य में मुख्यमंत्री का पद ढाई-ढाई साल के लिए दोनों दलों के पास रहना था। ठाकरे ने कहा था कि बीजेपी ने तब इस पर सहमति जताई थी लेकिन अब वह इससे मुकर गई है। जबकि अमित शाह ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि उनका शिवसेना के साथ इस तरह का कोई समझौता नहीं हुआ था।
शाह ने बुधवार शाम को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के बाद विपक्षी दलों की ओर से राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर किए जा रहे कटाक्षों को लेकर उनका बचाव किया था। शाह ने कहा था कि राज्यपाल ने सभी को पूरा समय दिया लेकिन कोई भी दल बहुमत साबित नहीं कर पाया।
चुनाव नतीजे आने के बाद से ही शिवसेना मुख्यमंत्री पद के लिए अड़ी हुई है। बीजेपी के साथ लंबे समय तक तकरार के बाद उसके कोटे से केंद्र में मंत्री अरविंद सावंत ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफ़ा दे दिया था और इसके बाद शिवसेना ने बीजेपी और एनडीए से भी नाता तोड़ लिया था।
राउत ने कहा कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे कह रहे थे कि मुख्यमंत्री शिवसेना का होगा लेकिन तब बीजेपी ने इसका विरोध क्यों नहीं किया। राउत ने कहा कि ऐसा लगता है कि अमित शाह ने बैठक में लिए गए फ़ैसले के बारे में मोदी जी को अवगत नहीं कराया। राउत ने कहा कि शिवसेना प्रधानमंत्री मोदी के बयानों का विरोध कर सकती थी लेकिन वह उनके पद का सम्मान करती है, इसलिए उसने ऐसा नहीं किया। अमित शाह का नाम लिये बिना राउत ने कहा कि कुछ लोग प्रधानमंत्री मोदी और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच में दरार डालने की कोशिश कर रहे हैं। राउत कई बार दुहरा चुके हैं कि राज्य का मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा।
बहरहाल, महाराष्ट्र के ताज़ा राजनीतिक हालात में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस महाराष्ट्र में मिलकर सरकार बनाने में जुटे हैं। तीनों दलों की ओर से स्पष्ट संकेत दिए जा चुके हैं कि ये दल मिलकर सरकार बनाने की ओर बढ़ रहे हैं। ख़बरों के मुताबिक़, एनसीपी ने शिवसेना के सामने मुख्यमंत्री पद के लिए ढाई-ढाई साल वाला फ़ॉर्मूला रखा है। इसे लेकर भी बातचीत चल रही है।
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