- वैसे भी यह ख़बर पहले ही सार्वजनिक हो चुकी है कि बीजेपी से गठबंधन करने के लिए सांसदों और विधायकों ने शिवसेना प्रमुख पर दबाव बनाया था। ऐसे में शिवसेना प्रमुख को पार्टी के बड़े पदाधिकारियों को छोड़ शाखा प्रमुख और उनसे नीचे के स्तर के शिव सैनिकों से संवाद करने की ज़्यादा ज़रूरत है क्योंकि बीजेपी और उसकी सरकार से ज़मीनी रूप में दो-दो हाथ उन्हें ही करने पड़ते हैं।
शिवसेना-बीजेपी के नेता भिड़े
शिवसेना और बीजेपी के नेताओं में ज़मीनी स्तर पर कितना टकराव है, यह शुक्रवार को अकोला महानगरपालिका में देखने को मिला। महानगरपालिका के सदन में शिवसेना-बीजेपी नेताओं के टकराव की ऐसी स्थिति हो गयी कि मामले को सुलझाने के लिए पुलिस को बुलाना पड़ा। इस टकराव की शुरुआत सभागृह में भाषण को लेकर हुई।
- शिवसेना के नगरसेवक माँग कर रहे थे कि महानगरपालिका में जो भ्रष्टाचार चल रहा है, उन्हें सदन में उस पर बोलने की इजाजत दी जाए। लेकिन महापौर विजय अग्रवाल जो कि बीजेपी से हैं ने शिव सेना के नगरसेवकों को बोलने की अनुमति नहीं दी। इस पर माहौल आक्रामक हो गया। यहाँ तक कि सदन में माइक भी तोड़ दिए।
ठाकरे के सामने सबसे बड़ी चुनौती शिवसैनिकों को समझाने की होगी। शिवसेना की इस बैठक पर बीजेपी की भी नज़र लगी है क्योंकि उसके प्रदेश अध्यक्ष राव साहब दानवे, किरीट सोमैया के लोकसभा क्षेत्र के शिवसैनिकों ने बग़ावत का झंडा बुलंद कर रखा है।
शिव सैनिकों के ग़ुस्से को कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेताओं व नारायण राणे जैसे पूर्व शिवसेना नेताओं की प्रतिक्रिया से भी हवा मिल रही है।
अपनी राय बतायें