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महाराष्ट्र चुनाव में धन, सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ लोग विद्रोह करें: पवार

महाराष्ट्र चुनाव में ईवीएम में लाखों वोट बढ़ जाने, चुनाव से पहले बड़े पैमाने पर वोटरों के नाम काटे जाने और फिर नये नाम जोड़े जाने के आरोपों के बीच शरद पवार ने राज्य के लोगों से आंदोलन करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर महाराष्ट्र के लोगों में असंतोष बढ़ रहा है। पवार ने तो सीधे-सीधे कह दिया कि चुनाव में धन और बल के दुरुपयोग के ख़िलाफ़ लोगों को विद्रोह कर देना चाहिए।

शरद पवार पुणे में वरिष्ठ सामाजिक एक्टिविस्ट बाबा अधव से मिलने के बाद बोल रहे थे। बाबा अधव विधानसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए भूख हड़ताल पर थे। पवार ने शनिवार को कहा, 'यह विधानसभा चुनाव सत्ता और धन के दुरुपयोग से प्रभावित था; लोगों को इस मुद्दे से जुड़ने की ज़रूरत है। स्थानीय चुनावों में अनियमितताएँ आम हैं, लेकिन राज्य चुनावों में कभी नहीं देखी गईं।'

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उनका यह बयान तब आया है जब हाल ही में संपन्न हुए चुनावों में कथित तौर पर गड़बड़ियों के आरोप लगे हैं। कांग्रेस ने कहा है कि 'लोकसभा चुनाव 2024 के बाद पांच महीनों में महाराष्ट्र में कुल मतदाताओं की संख्या में 47 लाख की वृद्धि हुई! जबकि, 2019 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव तक पांच साल में महाराष्ट्र में केवल 37 लाख मतदाताओं की वृद्धि हुई थी।'

कांग्रेस के प्रवक्ता गुरदीप सप्पल ने कहा है, '19 अक्टूबर, 2024 को एमवीए गठबंधन दलों ने भारत के चुनाव आयोग को लिखा था कि भाजपा बड़े पैमाने पर मतदाता सूची में धोखाधड़ी कर रही है, जिसमें प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में एमवीए समर्थकों के 10,000 वोटों को हटाना शामिल है। यह भी बताया गया कि भाजपा अपने द्वारा काटे जा रहे 10,000 नामों को छिपाने के लिए 10,000 फर्जी मतदाताओं को जोड़ रही है।'

इससे पहले ख़बर आई थी कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में गिने गए वोटों और डाले गए वोटों के बीच काफी अंतर है। केंद्रीय चुनाव आयोग के अनुसार, अंतिम मतदान 66.05% था यानी कुल 64,088,195 वोट पड़े। हालाँकि, गिने गए कुल वोटों का जोड़ 64,592,508 है, जो कुल पड़े वोटों से 504,313 अधिक है। 
हालाँकि आठ विधानसभा क्षेत्रों में गिने गए वोटों की संख्या डाले गए वोटों से कम थी, शेष 280 निर्वाचन क्षेत्रों में, गिने गए वोट डाले गए वोटों से अधिक थे।

बहरहाल, एक्टिविस्ट बाबा अधव से हड़ताल ख़त्म करवाने पहुँचे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा-सपा) सुप्रीमो शरद पवार ने कहा, 'सत्ता में बैठे लोगों ने लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हमला किया है। लोगों को विद्रोह करने की जरूरत है और बाबा का अनशन महत्वपूर्ण है।' महायुति गठबंधन में भाजपा, एकनाथ शिंदे की अगुआई वाली शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी शामिल हैं। इस गठबंधन ने चुनाव में 288 सदस्यीय विधानसभा में 235 सीटें जीती थीं। 

अधव को शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और एनसीपी-एसपी नेता जयंत पाटिल सहित विभिन्न दलों के शीर्ष नेताओं का समर्थन मिला। उन्होंने शनिवार को 95 वर्षीय कार्यकर्ता से मुलाकात की और उनसे अनशन समाप्त करने का आग्रह किया। अधव और उनके सहयोगियों ने चुनाव में “संविधान और लोकतंत्र का मजाक” उड़ाए जाने के विरोध में 28 नवंबर को पुणे के महात्मा फुले वाडा में अपना अनशन शुरू किया।

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शनिवार शाम को अधव ने उद्धव ठाकरे द्वारा पेश किए गए एक गिलास पानी को पीकर औपचारिक रूप से अपना अनशन समाप्त किया। ठाकरे ने कहा कि उन्हें इस बात पर आश्चर्य हुआ कि शिवसेना (यूबीटी) हार गई। अधव से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'हमें किसी ऐसे व्यक्ति की ज़रूरत है जो हमारा मार्गदर्शन करे, हमें बताए कि हम सही काम कर रहे हैं, और आपका आंदोलन इसका संकेत है। लेकिन कृपया अपनी हड़ताल जारी न रखें।'

इधर, एनसीपी प्रमुख और बारामती विधायक अजित पवार ने भी अधव से मुलाकात की और उन्हें समझाया कि महायुति का चुनाव आयोग पर कोई नियंत्रण नहीं है और परिणाम जनता का फैसला है। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार अजित ने बताया कि लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद महायुति दलों में से किसी ने भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर चिंता नहीं जताई। उन्होंने कहा, '1999 में लोगों ने लोकसभा चुनाव में अटल वाजपेयी को वोट दिया था; विधानसभा चुनाव में उन्होंने विलासराव देशमुख के गठबंधन को वोट दिया। जनता ने किसी की नहीं सुनी, पांच महीने के भीतर ही उन्होंने अपनी इच्छा बदल दी, हम क्या कर सकते हैं।'

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क़मर वहीद नक़वी
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