महाराष्ट्र की सियासत में बीते दिनों वो हुआ, जिसकी कल्पना किसी ने कभी नहीं की थी। यह एक हाई पॉलिटिकल ड्रामा था जिसमें एक रात में राष्ट्रपति शासन हट गया और सुबह सूरज निकलने से पहले राज्य के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री को शपथ दिला दी गई। लेकिन इस सबके बाद भी महाराष्ट्र की राजनीति के बूढ़े शेर शरद पवार ने विपरीत विचारधारा वाली शिवसेना और अपनी सहयोगी कांग्रेस के साथ मिलकर राज्य में सरकार बना ली। इस सबसे तो लोग ख़ासे हैरान हुए ही लेकिन शरद पवार ने एक और बड़ा ख़ुलासा कर लोगों को चौंका दिया है।
शरद पवार ने न्यूज चैनल एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में कहा है कि जब महाराष्ट्र में सियासी घमासान चल रहा था तो एक ओर एनसीपी शिवसेना और कांग्रेस से बातचीत कर रही थी, वहीं दूसरी ओर बीजेपी से भी उनकी पार्टी की बातचीत चल रही थी। पवार ने इससे भी बड़ा ख़ुलासा यह किया कि उन्हें इस बात की जानकारी थी कि उनके भतीजे अजीत पवार की बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से बातचीत चल रही थी। पवार ने कहा कि हालाँकि उन्हें इस बात का बिलकुल भरोसा नहीं था कि अजीत पवार इतना बड़ा क़दम उठा लेंगे।
इंटरव्यू के दौरान पवार ने अजीत पवार के द्वारा उठाये गये क़दम को लेकर कहा कि फडणवीस के साथ शपथ लेने से पिछली रात को उनकी कांग्रेस के नेताओं के साथ बहस हुई थी। एनसीपी प्रमुख ने कहा कि अजीत इस बहस के बाद बेहद नाराज थे। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस अतिरिक्त मंत्रालय माँग रही थी। मैं बैठक से उठकर चला गया था। अजीत भी बाहर चले गए और उन्होंने मेरे साथियों को बताया कि वह नहीं जानते कि अगले दिन वह किस तरह काम करेंगे। उसी रात अजीत की देवेंद्र फडणवीस के साथ बैठक हुई थी।’
एनसीपी प्रमुख ने कहा, ‘कुछ बीजेपी नेताओं का सुझाव था कि भले ही हम लोग साथ काम नहीं कर सकते। लेकिन उनकी यह मंशा थी कि दोनों दलों के बीच बातचीत होनी चाहिए। यह बातचीत अजीत पवार और फडणवीस के बीच हो रही थी।’
पवार ने कहा कि 23 नवंबर की सुबह जब उन्हें इस बात का पता चला कि अजीत पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है तो वह हैरान रह गए। 79 वर्षीय पवार ने कहा कि यह कहना कि अजीत पवार के इस क़दम को उनका समर्थन हासिल था, पूरी तरह ग़लत है।
अजीत को लेकर सहयोगियों से होगी चर्चा
अजीत पवार की उद्धव ठाकरे सरकार में क्या भूमिका होगी, इसे लेकर पवार ने कहा, ‘अजीत पवार उप मुख्यमंत्री होंगे या नहीं, इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता। इस मुद्दे पर सहयोगियों के साथ चर्चा की जाएगी। लेकिन अभी भी एनसीपी के लोग अजीत पवार का सम्मान करते हैं, हालाँकि वे उनके बीजेपी के साथ जाने को लेकर नाराज भी हैं।’ अजीत पवार के एनसीपी से बाहर जाने के प्रश्न पर पवार ने कहा कि उनके भतीजे के पार्टी छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता।
इंटरव्यू के दौरान यह पूछे जाने पर कि क्या शिवसेना के साथ काम करना बीजेपी के साथ काम करने से ज़्यादा आसान होगा? पवार ने कहा, ‘उन्हें इस बात का भरोसा है कि शिवसेना सरकार के कामकाज में हिंदुत्व के मुद्दे को नहीं लाएगी।’
पवार ने कहा, ‘महाराष्ट्र के चुनाव नतीजे आने के बाद हमने यह नहीं सोचा था कि हम राज्य में सरकार बनाएंगे और हमने विपक्ष में बैठने का फ़ैसला किया था। लेकिन जब हमने यह देखा कि शिवसेना बीजेपी से नाराज है तो हमने शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत से बातचीत की।’
कुल मिलाकर शरद पवार ने यह स्वीकार कर कि शिवसेना और कांग्रेस के साथ बातचीत के दौरान बीजेपी से भी बातचीत चल रही थी और उन्हें इस बात की जानकारी थी, लोगों को हैरान कर दिया है। क्योंकि जिस तरह पवार शिवसेना और कांग्रेस के नेताओं के साथ बैठकें कर रहे थे और सरकार बनाने में अहम भूमिका निभा रहे थे, उससे तो उनके इस ख़ुलासे पर यक़ीन करना एक बार के लिए आसान नहीं है। बहरहाल, इतना ज़रूर कहा जा सकता है कि पवार जैसे अनुभवी नेता के होने के कारण ही कांग्रेस भी विपरीत विचारधारा वाली शिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिए सहमत हो सकी।
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