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उद्धव के एमवीए का सीएम चेहरा होने पर शरद पवार को आपत्ति क्यों?

एमवीए की ओर से अगले विधानसभा चुनाव में सीएम का चेहरा कौन होगा? शिवसेना (यूबीटी) द्वारा इस बात पर जोर दिए जाने पर कि उद्धव ठाकरे एमवीए का मुख्यमंत्री चेहरा होंगे, शरद पवार ने इस पर आपत्ति की है। एनसीपी (एस-पी) प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को किसी व्यक्ति को सीएम चेहरे के रूप में पेश करने के विचार को खारिज कर दिया है।

शिवसेना सांसद संजय राउत द्वारा उद्धव का नाम आगे किए जाने को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में शरद पवार ने संवाददाताओं से कहा, 'हमारा गठबंधन हमारा सामूहिक चेहरा है। एक व्यक्ति हमारा मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं बन सकता। सामूहिक नेतृत्व हमारा फॉर्मूला है।'

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शरद पवार ने कहा, 'गठबंधन के तीनों सहयोगी मिलकर इस संबंध में फ़ैसला लेंगे।' उनका यह बयान तब आया है जब संजय राउत ने शनिवार को फिर कहा कि एमवीए को सीएम का चेहरा पेश करने की ज़रूरत है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री पद के चेहरे के बिना महाराष्ट्र में चुनाव में जाना एमवीए के लिए खतरनाक होगा। महाराष्ट्र ने देखा है कि उद्धव ठाकरे ने राज्य को कैसे संभाला, खासकर महत्वपूर्ण कोविड-19 अवधि के दौरान। लोगों ने उद्धव ठाकरे की लोकप्रियता के कारण एमवीए को वोट दिया... एक चेहराविहीन गठबंधन चुनाव जीतने में हमारी मदद नहीं करेगा।'

राउत ने कहा, 'अगर इंडिया गठबंधन ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश किया होता, तो हमें 25-30 सीटें और मिलतीं... लोगों को पता होना चाहिए कि वे किसके लिए वोट कर रहे हैं। लोगों ने इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी को वोट दिया। वे चेहरा जानना चाहते हैं। हमारे बीच इस बात को लेकर कोई मतभेद नहीं है कि हमारा मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन होना चाहिए। हम एकजुट होकर चुनाव लड़ने के लिए दृढ़ हैं। हम 175 से 180 विधानसभा सीटें जीतेंगे।'
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एमवीए में सभी वामपंथी दलों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करने वालों को शामिल करने का आह्वान करते हुए शरद पवार ने कहा, 'हाल के लोकसभा चुनावों के दौरान पीडब्ल्यूपी (भारतीय किसान और श्रमिक पार्टी), आप कम्युनिस्ट पार्टी ने मदद की। हालाँकि एमवीए में हम तीन दल हैं, हमें इन सभी दलों को शामिल करना चाहिए।'

उन्होंने कहा, 'मोदी का विरोध करने वाले सभी लोगों को एमवीए का हिस्सा बनना चाहिए। मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर जो भी फैसला लेना होगा, वह चर्चा के जरिए और सभी को विश्वास में लेने के बाद लिया जाएगा।'

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क़मर वहीद नक़वी
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