सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अजित पवार के एनसीपी गुट को पार्टी का चुनाव चिह्न 'घड़ी' इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी। हालाँकि इसके साथ अदालत ने एक शर्त भी लगा दी है। चुनावों में 'घड़ी' चिह्न के इस्तेमाल के साथ डिस्क्लेमर देने को भी कहा गया है। इसको लेकर अदालत ने पार्टी से अपने अंतरिम आदेश का पूरी तरह से पालन करने को कहा।
आदेश के अनुसार, अजित पवार गुट को घड़ी का चुनाव चिह्न इस्तेमाल करने की अनुमति है, लेकिन इस शर्त के साथ कि सभी विज्ञापनों और पैम्फलेट में इसका उल्लेख किया जाए कि 'मामला विचाराधीन है।' यह डिस्क्लेमर इसलिए कि लोगों के सामने यह साफ़ हो जाए कि अजित पवार खेमा और शरद पवार खेमा अलग-अलग है। जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने उपमुख्यमंत्री और अन्य को नोटिस जारी किया। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य विधानसभा चुनाव प्रक्रिया के दौरान भी इस निर्देश का सावधानीपूर्वक पालन किया जाना चाहिए।
अदालत का यह नोटिस शरद पवार के नेतृत्व वाले समूह द्वारा चुनाव चिह्न के उपयोग के संबंध में दायर याचिका के जवाब में आया। इसने चुनाव चिह्न के इस्तेमाल पर रोक लगाने की अर्जी लगाई थी। शीर्ष अदालत ने अजित पवार गुट से कहा कि वह इस चिह्न का इस्तेमाल एक डिस्क्लेमर के साथ करे और 4 नवंबर तक एक नया हलफनामा दाखिल करे कि वह उसके निर्देशों का उल्लंघन नहीं करेगा।
अदालत ने कहा, 'कृपया एक नया हलफनामा दाखिल करें कि आप चुनाव खत्म होने तक हमारे निर्देशों का उल्लंघन नहीं करेंगे। अपने लिए शर्मनाक स्थिति न बनाएं। अगर हमें लगता है कि हमारे आदेश का जानबूझकर उल्लंघन करने का प्रयास किया जा रहा है, तो हम स्वत: अवमानना का मामला शुरू कर सकते हैं।'
हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा है कि अजित पवार गुट द्वारा राजनीतिक लाभ के लिए शरद पवार के नाम और तस्वीरों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
सिंघवी ने कहा, 'आपने आदेश पारित कर उन्हें साफ़ करने का निर्देश दिया है कि आप शरद पवार से संबंधित नहीं हैं और आप पूरी तरह से अजित पवार से संबंधित गुट हैं। उनकी ओर से कोई डिस्क्लेमर नहीं है।' उन्होंने कहा, 'मक़सद साफ़ है- मुझ पर निर्भर होना... वे भी स्वीकार करते हैं कि उनके पिता समान शरद पवार हैं।' सिंघवी ने यह भी बताया कि लोकसभा सचिवालय में भी एनसीपी के दो गुटों के बारे में अस्थायी भ्रम था। उन्होंने कहा, 'उनके द्वारा ली गई शपथ का उल्लंघन किया जा रहा है। मुझे या उन्हें घड़ी न दें। उन्हें कोई अन्य चुनाव चिह्न दें। किसी को भी ऐसे चिह्न नहीं दिए जाने चाहिए जो न्यायालय में विचाराधीन हो।'
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