कांग्रेस छोड़ने वाले नेता अशोक चव्हाण को लेकर शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण हताश थे और लंबे समय से भाजपा में शामिल होने का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने कहा कि चव्हाण पर ईडी और आयकर विभाग जैसी एजेंसियों का दबाव था।
राउत का यह बयान उस संदर्भ में आया है जिसमें अशोक चव्हाण को तीन मामलों में नामित किया गया है। उनमें से दो 2011 के आदर्श सहकारी हाउसिंग सोसाइटी मामले से जुड़े हैं और तीसरा कथित भूमि हड़पने का मामला है।
आदर्श सोसाइटी से जुड़े मामले में एसीबी ने केस दर्ज किया था। रक्षा मंत्रालय से एक शिकायत मिलने के बाद सीबीआई ने जांच शुरू की, जिसमें आरोप लगाया गया कि कोलाबा में सार्वजनिक पदों के दुरुपयोग और फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से आदर्श सहकारी हाउसिंग सोसाइटी के लिए अवैध रूप से जमीन आवंटित की गई थी। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि चव्हाण 2000 में राज्य के राजस्व मंत्री थे और उन्होंने अन्य आरोपियों के साथ साजिश रची।
यह सोसायटी सबसे पहले रक्षा बलों में शामिल लोगों या उनके रिश्तेदारों के लिए प्रस्तावित की गई थी। आरोपों के बाद चव्हाण को 2010 में मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। हालाँकि, उन्होंने दावों का विरोध किया और इस बात से इनकार किया था कि सोसायटी को मंजूरी देने के लिए कोई लाभ लिया गया और अवैध कदम उठाया गया। सीबीआई का मामला लंबित है। इसी मामले में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था।
बहरहाल, छत्रपति संभाजी नगर में पत्रकारों से बात करते हुए संजय राउत ने कहा कि अशोक चव्हाण तब से दबाव में थे जब प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग ने उन पर ध्यान देना शुरू कर दिया था।
राउत ने कहा, 'मेरी जानकारी के अनुसार जब से एकनाथ शिंदे ने भाजपा से हाथ मिलाया है, चव्हाण ने भी उसी समय पार्टी छोड़ने का फैसला किया। चव्हाण भाजपा से हाथ मिलाने के लिए बेताब कदम उठा रहे थे। उन्होंने उपमुख्यमंत्रियों- देवेन्द्र फड़णवीस और अजित पवार के साथ बैठकें की थीं।'
राउत ने कहा कि मोदी सरकार के श्वेत पत्र में आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाले का उल्लेख के बाद चव्हाण के क़दम में तेजी आई। उन्होंने कहा, 'यह सच है कि काफी चर्चा के बाद चव्हाण को राज्यसभा सीट की पेशकश की गई थी। हालाँकि, आदर्श घोटाले के उल्लेख से वह घबरा गए होंगे।'
उन्होंने कहा, 'चव्हाण एक चतुर राजनीतिज्ञ और अच्छे प्रशासक हैं। यह बात सभी ने स्वीकार की है। उनके पास व्यापक राजनीतिक अनुभव है। कांग्रेस के संगठनात्मक नेटवर्क पर उनका अच्छा नियंत्रण है। उनका फैसला कांग्रेस के लिए झटके से ज्यादा उनके हित में है।'
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