कोरोना संकट के कारण अर्थव्यवस्था को हुए नुक़सान की वजह से महाराष्ट्र सरकार ने कर्मचारियों की सैलरी में कटौती कर दी है। कुछ विभागों में यह कटौती 50 फ़ीसदी तक की गई है। इस वजह से बृहन्मुंबई महा नगरपालिका की ओर से चलाए जाने वाले अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टर्स और दूसरे मेडिकल प्रोफ़ेशनल्स को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
महाराष्ट्र के सरकारी मेडिकल अफ़सरों की एसोसिएशन की उत्तरी इकाई के अध्यक्ष जरमान सिंह पदवी ने ‘मुंबई मिरर’ से कहा, ‘मैं 20 साल से स्वास्थ्य विभाग में मेहनत के साथ काम कर रहा हूं। मार्च के महीने में मेरी सैलरी 50 फ़ीसदी कटी और अभी तक अप्रैल की सैलरी नहीं मिली है।’
पदवी ने कहा कि एक ओर हमें कोरोना के ख़िलाफ़ फ़्रंटलाइन योद्धा कहा जाता है और दूसरी ओर हमें सैलरी कम मिल रही है, इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि डॉक्टर्स के पास इतना समय नहीं है कि वे विभाग या सरकार के साथ इस मुद्दे पर संघर्ष कर सकें।
इस बारे में अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) मनोज सौनिक ने कहा कि सभी विभागों के सभी कर्मचारियों की सैलरी में मार्च से ही कटौती की जा रही है।
महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ़ रेजिडेंट डॉक्टर्स के अध्यक्ष राहुल वाघ ने ‘मुंबई मिरर’ से कहा कि मुंबई शहर में डॉक्टर्स की सैलरी में 30 से 40 फ़ीसदी की कटौती की गई है। ठाणे जिले में काम करने वाले एक रेजिडेंट डॉक्टर ने कहा, ‘मैं हर महीने 15 हज़ार रुपये किराया देता हूं। सब्जियां और दूसरी चीजें बहुत महंगी हो गई हैं। मुझे अपने बूढ़े माता-पिता की भी देखभाल करनी होती है।’ उन्होंने कहा कि सैलरी में कटौती से डॉक्टर्स का मनोबल गिरा है।
एक और डॉक्टर ने नाम न बताने की शर्त पर ‘मुंबई मिरर’ से कहा, ‘मुझे ख़र्चा चलाने के लिए अपनी बचत में से पैसे निकालने पड़ रहे हैं। सैलरी कम करने से हमारे काम पर असर पड़ रहा है और महामारी के इस दौर में हड़ताल करना भी सही नहीं होगा।
ऐसे हालात में डॉक्टर्स किस तरह काम करेंगे क्योंकि महाराष्ट्र में कोरोना के मामले बेतहाशा बढ़ रहे हैं। महाराष्ट्र में 33 हज़ार से ज़्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 20 हज़ार से ज़्यादा मामले अकेले मुंबई में हैं। लचर स्वास्थ्य सुविधाओं के बीच काम कर रहे डॉक्टर्स की सैलरी कटने से उनके मनोबल पर असर पड़ना लाजिमी है।
अपनी राय बतायें