हेमंत सोरेन
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बाबूलाल मरांडी
बीजेपी - धनवार
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‘अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी का प्रेस की आज़ादी पर हमले से कोई संबंध नहीं है। उनकी गिरफ्तारी आत्महत्या के एक प्रकरण की वजह से हुई है। इसे प्रेस पर अंकुश या आपातकाल कहना इस मामले को दूसरा रूप देने की साज़िश जैसा है।’ रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब की गिरफ्तारी पर उद्धव ठाकरे सरकार में मंत्री तथा शिव सेना प्रवक्ता अनिल परब ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेन्स में यह बात कही।
परब ने कहा कि मुंबई से लेकर दिल्ली तक बीजेपी के नेता और मंत्री इस गिरफ्तारी पर बयानबाजी कर रहे हैं लेकिन इस बात को कोई नहीं बता रहा कि अर्णब पर एक महिला का सुहाग उजाड़ने का आरोप है।
उन्होंने कहा, ‘एक परिवार बर्बाद हो गया। अन्वय नाइक और उनकी मां ने एक ही रात में आत्महत्या की जबकि आर्थिक दबाव में आकर अन्वय के ससुर ने भी कुछ दिनों बाद आत्महत्या कर ली थी।’ परब ने कहा कि बीजेपी के नेता एक आरोपी को बचाने के लिए इतना हंगामा क्यों कर रहे हैं।
मंत्री ने कहा कि अन्वय के सुसाइड नोट में अर्णब का नाम था और इस मामले की जांच के लिए अन्वय का परिवार अदालत में भी गया था। अदालत ने मामले में जांच करने के निर्देश दिए और आगे की कार्रवाई पुलिस ने अपनी जांच के आधार पर की। शिव सेना प्रवक्ता ने पूछा कि इस मामले में प्रेस की आज़ादी का मुद्दा कहां से आ गया?
परब ने कहा कि अर्णब गुनहगार हैं या नहीं, इस बात की जांच करने के लिए ही पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया है।
अनिल परब ने आगे कहा, ‘क्या अर्णब गोस्वामी बीजेपी के कार्यकर्ता हैं, जो पार्टी के तमाम नेता उनकी गिरफ्तारी पर हंगामा मचा रहे हैं।’
अर्णब की गिरफ्तारी के बाद महाराष्ट्र में राजनीति गरमा गयी है। राजनीति का आलम यह है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल से लेकर बीजेपी के प्रदेश स्तर और केंद्रीय स्तर के तमाम नेताओं के ट्वीट्स आये हैं।
रायगढ़ और मुंबई पुलिस की इस कार्रवाई को बीजेपी नेताओं ने बदले की भावना से उठाया हुआ क़दम बताते हुए इसकी तुलना "आपातकाल" से कर दी है। वहीं, इस मामले में महाविकास आघाडी में शामिल घटक दल के नेता भी आक्रामकता से जवाब देने लगे हैं।
शिव सेना सांसद संजय राउत ने कहा कि अर्णब की गिरफ्तारी उनके ख़िलाफ़ विचाराधीन मामले में जांच का हिस्सा है। अर्णब या किसी अन्य पत्रकार ने सुशांत सिंह आत्महत्या प्रकरण में शिव सेना नेताओं पर अनेक झूठे आरोप लगाए लेकिन हमने किसी के ख़िलाफ़ कभी बदले की कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि अर्णब की गिरफ्तारी एक आर्किटेक्ट और उसकी मां की आत्महत्या के मामले में हुई है।
इस संबंध में अन्वय नाइक की पत्नी अक्षता ने महाराष्ट्र पुलिस का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि अर्णब की कुटिलता की वजह से उनके पति, सास और पिता को आत्महत्या करनी पड़ी है। उनके पति ने अपने सुसाइड नोट में अर्णब गोस्वामी द्वारा पैसे नहीं दिए जाने का उल्लेख किया था। अन्वय की पत्नी ने आरोप लगाया कि अर्णब हमें दिए हुए पैसे वापस वसूलने की धमकी देता था।
अन्वय कॉनकॉर्ड डिजाइन्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध संचालक थे। अन्वय व उनकी मां कुमुद ने 5 मई, 2018 को मुंबई के अलीबाग के कावीर गांव स्थित अपने घर में आत्महत्या कर ली थी। अन्वय ने सुसाइड नोट लिखा था जिसमें उन्होंने उल्लेख किया था कि पत्रकार अर्णब गोस्वामी, फिरोज़ शेख और नितीश सारडा ने उनके पांच करोड़ 40 लाख रुपये नहीं दिए हैं।
अन्वय की कंपनी ने अर्णब गोस्वामी के रिपब्लिक टीवी के स्टूडियो का काम किया था और उस काम की बकाया राशि अर्णब गोस्वामी उन्हें नहीं दे रहे थे। इस बात से परेशान होकर अन्वय ने आत्महत्या जैसा कठोर क़दम उठाया।
इस मामले में 2018 में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गयी थी लेकिन जांच आगे नहीं बढ़ रही थी। प्रदेश में सरकार बदलने पर 5 मई, 2020 को अक्षता ने सोशल मीडिया पर इस प्रकरण को लेकर वीडियो डाला था। उन्होंने सरकार से पूछा था कि क्या दो साल बाद उन्हें न्याय मिलेगा?
वीडियो के सामने आने के बाद गृहमंत्री अनिल देशमुख ने 26 मई, 2020 को कहा था कि अन्वय की बेटी आज्ञा नाइक ने उनसे मुलाक़ात की थी। इस मुलाक़ात में आज्ञा ने अन्वय और अपनी दादी की आत्महत्या मामले की जांच कराने की अपील की थी।
उसकी अपील पर गृहमंत्री ने मामले की जांच सीआयडीला को करने के आदेश दिये थे और अब जब अर्णब की गिरफ्तारी हो गई है तो सत्ताधारी दलों व बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
सोशल मीडिया पर #JusticeForAnvay तथा #ArnabGoswami जैसे कई ट्रेंड्स चल रहे हैं। बीजेपी इसे आपातकाल, लोकतंत्र की हत्या तथा सरकार की अराजकता कह रही है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे इस गिरफ्तारी के विरोध में आंदोलन करें।
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