टीआरपी स्कैम के मामले में रिपब्लिक टीवी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विकास खानचंदानी को मुंबई पुलिस ने गिरफ़्तार किया है। यह इस मामले में यह 13वीं गिरफ़्तारी है। विकास खानचंदानी से मुंबई पुलिस की अपराध शाखा काफ़ी पहले से पूछताछ करती रही थी।
टीआरपी स्कैम में रिपब्लिक टीवी सहित तीन चैनलों के नाम सामने आए हैं। मुंबई पुलिस ने दावा किया है कि विज्ञापन की ऊँची क़ीमतें वसूलने के लिए ये चैनल रेटिंग से छेड़छाड़ करा रहे थे जो कि धोखाधड़ी की श्रेणी में आती है। तीन में से दो चैनलों के मालिकों को पहले ही गिरफ़्तार किया जा चुका था। इसके बाद 10 अक्टूबर को रिपब्लिक टीवी के सीईओ विकास, सीएफ़ओ शिव सुब्रह्मण्यम सुंदरम सहित छह लोगों को समन भेजा गया था। इस मामले में एक दिन बाद ही यानी 11 अक्टूबर को विकास खानचंदानी मुंबई पुलिस के मुख्यालय में इसकी अपराध शाखा के सामने पेश हुए थे।
मुंबई पुलिस का यह मामला हंसा रिसर्च ग्रुप के माध्यम से रेटिंग एजेंसी ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल यानी BARC द्वारा दायर एक शिकायत पर आधारित है, जिसमें आरोप है कि कुछ टीवी चैनल टीआरपी में हेराफेरी कर रहे थे।
टीआरपी में गड़बड़ी का यह मामला 8 अक्टूबर को तब सामने आया जब मुंबई पुलिस ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस की थी। 6 अक्टूबर को केस दर्ज किया गया था। मुंबई पुलिस का दावा है कि कुछ टीवी चैनल पैसे देकर अपनी टीआरपी बढ़ाया करते थे। इस मामले में रिपब्लिक टीवी पर भी गंभीर आरोप लगे हैं।
मुंबई पुलिस के प्रमुख परमवीर सिंह ने तब प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि 'इन चैनलों के बैंक खातों की जाँच की जाएगी और इसकी पड़ताल की जाएगी कि उनके खातों में जमा पैसे विज्ञापनों से मिले हैं या आपराधिक गतिविधियों से हुई कमाई है।' उन्होंने कहा, 'यदि अपराध का खुलासा हुआ तो इन खातों को पुलिस अपने कब्जे में ले लेगी और कार्रवाई करेगी।'
रिपब्लिक भारत टीवी अप्रत्याशित रूप से पिछले छह हफ़्तों से नंबर एक चैनल बन गया था। तब यह कहा गया कि सुशांत सिंह पर इकतरफ़ा कवरेज से उसे ज़्यादा दर्शकों ने देखा और उसकी लोकप्रियता बढ़ी।
अब पुलिस रिपब्लिक टीवी समेत तीन टेलीविज़न चैनलों पर टीआरपी की हेराफेरी करने का आरोप लगाते हुए इस मामले की जाँच कर रही है।
तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, 'यह याचिका प्रकृति में महत्वाकांक्षी है। आप चाहते हैं कि महाराष्ट्र पुलिस किसी भी कर्मचारी को गिरफ्तार न करे और मामलों को सीबीआई को हस्तांतरित करे। बेहतर होगा आप इसे वापस ले लें।'
तब कंपनी की ओर से महाराष्ट्र पुलिस पर
मीडिया कंपनी, इसके प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी व कर्मचारियों का 'पीछा करने' का आरोप लगाया गया था।
हालाँकि, इस पूरे मामले में रिपब्लिक टीवी के प्रमुख संपादक अर्णब गोस्वामी सभी आरोपों को खारिज करते रहे हैं। वह टीवी पर अपने कार्यक्रमों में भी इस मामले में सफ़ाई देते रहे हैं। शुरुआती प्रतिक्रिया में अर्णब गोस्वामी ने कहा था कि एफ़आईआर में चैनल के नाम का उल्लेख नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया था कि उनके चैनल को इसलिए घसीटा जा रहा है क्योंकि इसने सुशांत सिंह राजपूत मामले की रिपोर्टिंग की। ऐसा लगता है कि अर्णब गोस्वामी इशारों में ही सुशांत सिंह के हवाले से उद्धव ठाकरे सरकार पर निशाना साध रहे हैं क्योंकि रिपब्लिक टीवी इस मामले में बार-बार मुंबई पुलिस और उद्धव ठाकरे सरकार पर सवाल करता रहा है।
अपनी राय बतायें