शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा है कि उनकी पार्टी हिंदुत्व और सावरकर के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेगी। संजय राउत ने यह बात एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में कही है। बताना होगा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के द्वारा विनायक दामोदर सावरकर के बारे में की गई टिप्पणी को लेकर महाराष्ट्र के अंदर सियासी बवाल खड़ा हो गया था।
बीजेपी और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट ने तो राहुल गांधी पर हमला बोला ही था, उद्धव गुट ने भी राहुल गांधी के बयान से असहमति जताई थी।
संजय राउत ने एनडीटीवी से कहा, “सावरकर ने 10 साल अंडमान की जेल में बिताए थे जिन लोगों को जेल में रहने का अनुभव हो, वही उस बारे में जान सकते हैं। चाहे वह सावरकर हों या नेहरू या नेताजी सुभाष बोस या कोई और, पीछे जाकर इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करना ठीक नहीं है।”
उन्होंने कहा कि हिंदुत्व और सावरकर के मुद्दे पर उनकी पार्टी की विचारधारा हमेशा कांग्रेस से अलग ही रहेगी। संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में गठबंधन करते वक्त हमने सोनिया गांधी से सावरकर पर चर्चा की थी और तय किया था कि कुछ मुद्दों को नहीं छुएंगे।
सांसद ने कहा कि गठबंधन में हमेशा समझौते करने होते हैं और देश की खातिर हम कांग्रेस के साथ बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि हर एक मुद्दे पर हम सहमत नहीं हो सकते लेकिन हिंदुत्व और सावरकर के मुद्दे पर किसी तरह का समझौता नहीं करेंगे।
लेकिन यहां सवाल यह है कि संजय राउत के इस बयान का क्या मतलब है। संजय राउत कहते हैं कि वह सावरकर के मुद्दे पर समझौता नहीं करेंगे और कांग्रेस के साथ भी गठबंधन में बने रहेंगे। इसका मतलब यह हुआ कि वह कहीं ना कहीं सावरकर के मुद्दे पर समझौता कर रहे हैं क्योंकि राहुल गांधी कई मौकों पर सावरकर को माफी वीर बताते रहे हैं और जब-जब राहुल ने सावरकर के बारे में ऐसा बयान दिया है तब-तब शिवसेना की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। ऐसे में उद्धव ठाकरे गुट को यह स्पष्ट करना चाहिए कि ‘समझौता नहीं करेंगे’ का आखिर क्या मतलब है।
सावरकर के बयान पर विवाद के बाद संजय राउत ने ट्वीट कर राहुल गांधी की तारीफ की थी और कहा था कि राहुल ने उनसे फोन किया था और उनकी सेहत के बारे में पूछा था।
जून में हुई बगावत के बाद से ही शिवसेना का उद्धव गुट बेहद कमजोर हो चुका है क्योंकि बड़ी संख्या में शिवसेना के सांसद, विधायक और शिवसैनिक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ जा चुके हैं। ऐसे में उद्धव गुट भी कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ना चाहता क्योंकि ऐसी सूरत में वह महाराष्ट्र के भीतर सियासी रूप से और कमजोर हो जाएगा।
क्या कहा था राहुल ने?
राहुल गांधी ने गुरूवार को महाराष्ट्र के अकोला में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सावरकर के द्वारा जेल में रहते हुए अंग्रेजों को लिखी गई चिट्ठी पढ़ी थी।
राहुल ने कहा, सावरकर ने अंग्रेजों को चिट्ठी लिखकर कहा था- सर मैं आपका नौकर बने रहना चाहता हूं। बता दें कि बीजेपी और संघ परिवार सावरकर को हिंदुत्व का आइकॉन मानते हैं जबकि कांग्रेस का कहना है कि सावरकर ने जेल से बाहर आने के लिए अंग्रेजों से माफी मांगी थी।
राहुल ने कहा था कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भी सावरकर की इस चिट्ठी को पढ़ना चाहिए।
दर्ज हुई थी एफआईआर
बताना होगा कि राहुल गांधी की टिप्पणी के बाद उनके खिलाफ शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट यानी बालासाहेबची शिवसेना की नेता वंदना सुहास डोंगरे ने एफआईआर दर्ज कराई थी। एफआईआर में कहा गया है कि राहुल गांधी ने जो बयान दिया है उससे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सावरकर का अपमान हुआ है और इससे स्थानीय लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं।
जबकि विनायक दामोदर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने राहुल गांधी के खिलाफ मुंबई के शिवाजी पार्क पुलिस थाने में शिकायत देकर उन्हें गिरफ्तार किए जाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी ने यह बयान अपने राजनीतिक फायदे के लिए दिया है।
यात्रा से दूर रहे उद्धव
भारत जोड़ो यात्रा ने जब महाराष्ट्र में प्रवेश किया था तो इसे महा विकास आघाडी में शामिल एनसीपी और शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट का भी समर्थन मिला था। एनसीपी के नेता जयंत पाटिल और सुप्रिया सुले के साथ ही उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में चले थे। खबरों के मुताबिक, उद्धव ठाकरे को भी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी के साथ एक सभा में शामिल होना था लेकिन सावरकर को लेकर की गई टिप्पणी की वजह से हुए विवाद के बाद उन्होंने इससे दूर रहना ही बेहतर समझा।
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