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पुणे पोर्शे केसः शिंदे सरकार के मंत्री, विधायक की दागदार भूमिका

पुणे पोर्श कार हादसे की घटना के बाद महाराष्ट्र सरकार ने पुणे के बीजे सरकारी मेडिकल कॉलेज और ससून जनरल अस्पताल के डीन डॉ. विनायक काले को फोर्स लीव पर भेज दिया। ऐसा क्यों हुआ...दरअसल, डॉ विनायक काले ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कई ऐसी बातें मीडिया को बताईं, जिससे शिंदे सरकार का दागदार चेहरा सामने आ गया।

इस केस में अस्पताल के दो डॉक्टरों पर पोर्शे चलाने वाले किशोर का ब्लड सैंपल बदलने का आरोप लगा है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, जब डॉ काले से अधीक्षक के रूप में अजय तावड़े की नियुक्ति के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ द्वारा की गई सिफारिश और विधायक सुनील टिंगरे के एक सिफारिशी पत्र का हवाला दिया।

 
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डॉ काले ने अस्पताल में विवादास्पद अतीत के बावजूद डॉ तावड़े की नियुक्ति के बारे में सवालों के जवाब में कहा, "मैंने केवल मंत्री द्वारा दिए गए आदेशों का पालन किया।" उन्होंने बताया कि अधीक्षक का पद एक प्रोफेसर के लिए होता है और उस समय यह पद एक एसोसिएट प्रोफेसर के पास होता था। डॉ काले ने कहा, "इसलिए, जब मुझे मंत्री की सिफारिश मिली, जिसे व्यापक रूप से प्रचारित किया गया है, तो हां मैंने डॉ. तावड़े को अधीक्षक नियुक्त किया।"

अस्पताल के डीन डॉ काले ने जिस तरह मंत्री और विधायक का नाम लिया, शाम को ही उनको फोर्स लीव पर जाने को कहा गया। बुधवार देर शाम जारी आदेशों से संकेत मिलता है कि संस्था के प्रमुख के रूप में डॉ काले स्थिति की गंभीरता को समझने में विफल रहे और इसकी प्रभावी ढंग से निगरानी नहीं की।
कुल मिलाकर इस मामले में शिंदे सरकार के मंत्री हसन मुश्रीफ और एनसीपी विधायक (अजीत पवार) टिंगरे की भूमिका सामने आ गई है। आरोप है कि टिंगरे 19 मई को पोर्शे हादसे के बाद उस पुलिस स्टेशन में जा पहुंचे थे, जहां आरोपी को ले जाया गया था। आरोप है कि विधायक टिंगरे ने पुलिस वालों पर पूरा दबाव बनाया था।

इसके अतिरिक्त, एक अलग आदेश में, राज्य सरकार ने मामले में कथित संलिप्तता के लिए ससून जनरल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ अजय तावड़े को निलंबित कर दिया और आकस्मिक चिकित्सा अधिकारी श्रीहरि हल्नोर को बर्खास्त कर दिया। तावड़े पर 19 मई को पोर्शे कार दुर्घटना में शामिल नाबालिग ड्राइवर के ब्लड सैंपल को बदलने और अल्कोहल रिपोर्ट में हेरफेर करने का निर्देश देने का आरोप है।

अजीत पवार भी विवादों में

अजीत पवार की पार्टी के मंत्री और विधायक का नाम तो इस मामले में सामने आ ही गया लेकिन जिस दिन आरोपी किशोर का ब्लड सैंपल बदलने की बात सामने आई तो उसी दिन डिप्टी सीएम अजीत पवार ने पुणे के पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार को फोन किया। 

एक्टिविस्ट अंजलि दमानिया ने आरोप लगाया है कि पोर्शे हादसे के बाद पवार ने पुणे के पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार को फोन किया था। इस पर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने सफाई में कहा कि उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया था कि वरिष्ठ पुलिसकर्मी किसी दबाव में न आएं।

अजीत पवार ने कहा कि "जनप्रतिनिधि होने की वजह से हमें ऐसे हादसों के बारे में फोन आते हैं। मैंने पुलिस कमिश्नर को फोन किया था और उन्हें बताया था कि आरोपी लड़का एक अमीर परिवार से था और पुलिस पर दबाव पड़ने की संभावना है। मैंने उनसे कहा कि वह किसी भी राजनीतिक दबाव के आगे न झुकें।“

अजीत पवार से जब अंजलि दमानिया के आरोपों पर पूछा गया तो डिप्टी सीएम ने कहा-  "मैं नार्को टेस्ट के लिए तैयार हूं, लेकिन अगर मुझे दोषमुक्त कर दिया जाता है, तो आप (अंजलि दमानिया) को घर पर चुपचाप बैठ जाना चाहिए और 'संन्यास' ले लेना चाहिए। क्या वो इसके लिए तैयार हैं?"

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क्या मामला था

18 मई को, पुणे के एक प्रमुख प्रॉपर्टी डीलर का 17 वर्षीय बेटा अपने 12वीं कक्षा के नतीजे का जश्न मनाने के लिए दोस्तों के साथ ₹ 2.5 करोड़ की पॉर्शे कार में पार्टी करने गया था। वे दो पबों में गए और अवैध रूप से शराब पी, उनमें से एक पर ₹ 48,000 का बिल चुकाया। इसके बाद किशोर ने अपने दो दोस्तों के साथ 19 मई की तड़के कल्याणी नगर में कम से कम 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से कार चलाते हुए, बाइक को पीछे से टक्कर मारी। जिससे 24 वर्षीय दो आईटी इंजीनियरों की मौके पर ही मौत हो गई। इस मामले में किशोर को उसी दिन जमानत मिल गई। बस, उससे कोर्ट ने 300 शब्दों का निबंध लिखने को कहा था। अगले दिन जब यह मामला सामने आया तो देशभर में गुस्सा फैल गया। लेकिन उससे भी ज्यादा वीभत्स तब हुआ, जब दो डॉक्टरों पर आरोपी का ब्लड सैंपल बदलने का आरोप लगा। अब इसमें अजीत पवार की पार्टी के मंत्री हसन मुश्रीफ और विधायक टिंगारे का नाम आया है। पुलिस ने इस केस में आरोपी के पिता, दादा, बार चलाने वाले लोगों को गिरफ्तार किया है।

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क़मर वहीद नक़वी
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