सुशांत सिंह राजपूत की मौत के प्रकरण में गोदी मीडिया का जो रूप इस देश ने देखा, उसे लेकर अब विश्लेषणों का दौर जारी है। गोदी मीडिया के रवैये पर सवाल भी उठ रहे हैं। इस प्रकरण में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रमुख शरद पवार और मुंबई पुलिस को लेकर जिस तरह के शब्दों का प्रयोग किया गया, उसके चलते महाराष्ट्र विधानसभा में रिपब्लिक चैनल के प्रमुख अर्णब गोस्वामी तथा विधान परिषद में फ़िल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के ख़िलाफ़ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाया गया।
इन प्रस्तावों को लेकर दोनों सदनों में बीजेपी के विधायकों ने हंगामा भी किया। लेकिन ठाकरे सरकार ने जिस गंभीरता से इस मामले को लिया है उससे स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में अर्णब और कंगना की परेशानियां बढ़ने ही वाली हैं।
विधानसभा व विधान परिषद के सदन में सत्ताधारी दलों ने इस पूरे प्रकरण में बीजेपी पर निशाना साधा। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में भी बीजेपी और केंद्र सरकार पर जमकर हल्ला बोला गया है।
‘सामना’ के संपादकीय में लिखा गया है, ‘मुंबई शहर महाराष्ट्र और यहां रहने वाले 11 करोड़ लोगों का है। देश की आर्थिक राजधानी है, इसका अपमान देशद्रोह के तुल्य है और ऐसा करने वाले के पीछे केंद्र सरकार का गृह मंत्रालय मजबूती के साथ खड़ा है। कोई भी ऐरा-गैरा मुंबई और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के बारे में तू-तड़ाक से बात करने लगता है, इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’
आगे लिखा गया है कि अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए किसी देशद्रोही पत्रकार, किसी सुपारी बाज कलाकार को आगे लाना और उसका समर्थन करना भी उतना ही गलत है।
‘बीजेपी प्रायोजित हैं अर्णब गोस्वामी’
विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि झिरवल की उपस्थिति में यह प्रस्ताव सदन में शिवसेना के विधायक प्रताप सरनाईक द्वारा लाया गया। सर नाईक ने कहा कि पत्रकार अर्णब गोस्वामी बीजेपी प्रायोजित हैं और वह गैर बीजेपी नेताओं के ख़िलाफ़ कुछ भी बोलते रहते हैं। वर्तमान में राज्य में विशेषाधिकार हनन समिति का गठन नहीं हुआ है, लिहाजा इस प्रस्ताव को कामकाज सलाहकार समिति को भेजा जाएगा।
सर नाईक ने कहा कि मीडिया की स्वतंत्रता के नाम पर आप किसी भी व्यक्ति को जो मन में आयी वैसी भाषा से संबोधित नहीं कर सकते, वह भी एक बार नहीं बार-बार। इस प्रस्ताव पर मंत्री अनिल परब ने कहा कि इसी सदन में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर क़ानून पास किया गया है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोई भी पत्रकार अपने आप को न्यायाधीश मान बैठे और ख़बरों को फैसले की तरह सुनाये।
परब ने कहा कि अर्णब गोस्वामी जैसे "सुपारी" लेकर पत्रकारिता करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने इस प्रस्ताव पर शोर-शराबा कर रहे बीजेपी विधायकों से कहा कि प्रधानमंत्री के बार में कोई कुछ बोल दे तो आपको गुस्सा आ जाता है, फिर मुख्यमंत्री के बारे में क्यों नहीं आता!
अर्णब के ख़िलाफ़ मिली शिकायतें
गृहमंत्री अनिल देशमुख ने सदन में कहा कि अर्णब गोस्वामी के ख़िलाफ़ बहुत सी शिकायतें मिली हैं जो वर्तमान घटनाक्रम से भी जुड़ी हैं और पहले की भी हैं। एक मामला अलीबाग में एक आर्किटेक्ट अन्वय नाईक और उसकी माँ का है जिन्होंने 5 मई, 2018 को अपने घर में आत्महत्या कर ली थी। अन्वय ने आत्महत्या से पहले जो चिट्ठी लिखी थी उसमें उन्होंने आत्महत्या का कारण अर्णब गोस्वामी द्वारा पैसे नहीं देने को बताया था। अन्वय ने अर्णब के चैनल के स्टूडियो और कार्यालय का काम किया था लेकिन उस काम का भुगतान बाकी था।
देशमुख ने कहा कि इसी साल मई महीने में अन्वय की बेटी और पत्नी ने उनसे इस मामले की जांच फिर से कराने की मांग की थी। यही नहीं विधायक सुनील प्रभु और प्रताप सरनाईक ने भी इस मामले की फिर से जांच कराने की मांग की है, लिहाजा इसकी जांच के आदेश दे दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा नागपुर में उद्धव ठाकरे फैंस क्लब की तरफ से भी मुख्यमंत्री का अपमान करने की शिकायत पुलिस में दर्ज हुई है।
पुणे में भी सामाजिक कार्यकर्ता निलेश नवलखा ने अर्णब के ख़िलाफ़ टीवी शो में ग़लत भाषा का इस्तेमाल करने संबंधी मामला दर्ज कराया है।
पालघर में साधुओं की लिंचिंग प्रकरण में भी अर्णब की रिपोर्टिंग से दो धर्मों में तनाव पैदा होने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा प्रदेश में कई पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया गया है। गृहमंत्री ने कहा कि सभी शिकायतों की जांच की जाएगी।
मुंबई के साथ गद्दारी?
उधर, विधान परिषद में कंगना रनौत के ख़िलाफ़ कांग्रेस के विधायक भाई जगताप ने विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ विशेषाधिकार हनन ही नहीं है, मुंबई के साथ की गयी गद्दारी है। इन दोनों विशेषाधिकार हनन प्रस्तावों के ख़िलाफ़ बीजेपी नेताओं ने सदन में हंगामा किया और विरोध भी जताया।
नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वह मुंबई पुलिस की क्षमता को जानते हैं लेकिन पुलिस राजनीतिक दबाव में भी आ सकती है। फडणवीस ने कहा कि चूंकि राजपूत की मौत के मामले को जिस तरह से संभाला गया वह ‘गलत’ था, इसलिए जांच सीबीआई को सौंपी गई।
बीजेपी द्वारा इस मामले की सीबीआई जांच की मांग किये जाने से मुंबई पुलिस का मनोबल गिरने के संबंध में शिवसेना और अन्य सत्तारूढ़ पार्टियों के आरोपों को खारिज करते हुए फडणवीस ने कहा कि कई विधायकों ने भी समय-समय पर पुलिस के ख़िलाफ़ टिप्पणी की है।
फडणवीस ने कहा कि बिना सम्मान के मुख्यमंत्री के बारे में बोलना गलत है। उन्होंने कहा, ‘‘हम विपक्ष में हैं, लेकिन उद्धवजी हमारे मुख्यमंत्री हैं। वहीं, आशीष शेलार ने कहा कि वर्तमान सरकार ने असहिष्णुता की हदें पार कर दी हैं। इन विशेषाधिकार प्रस्तावों से हटकर शिवसेना के प्रमुख प्रवक्ता सांसद संजय राउत ने एक बार फिर इस एपिसोड में अर्णब गोस्वामी और कंगना रनौत पर निशाना साधा और कहा कि यह सब बीजेपी प्रायोजित है।
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