उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर स्कॉर्पियो कार में मिली जिलेटिन की छड़ों के मामले में पूर्व पुलिस अफ़सर सचिन वाजे की भूमिका और मुंबई के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह के द्वारा अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोपों के कारण महाराष्ट्र का राजनीतिक माहौल बेहद गर्म है। इस बीच, बीजेपी ने यह दावा करके कि ठाकरे सरकार के दो और मंत्री इस्तीफ़ा देंगे, आग में घी डालने का काम किया है। अनिल देशमुख का इस्तीफ़ा पहले ही हो चुका है।
महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत दादा पाटिल ने गुरूवार को यह दावा किया है कि राज्य सरकार के दो मंत्रियों को 15 दिन के अंदर इस्तीफ़ा देना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का सही वक्त है।
वाजे की चिट्ठी
पाटिल का यह बयान सचिन वाजे की उस चिट्ठी के बाद आया है जिसमें वाजे ने कहा है कि पूर्व गृह मंत्री देशमुख ने उससे नौकरी पर बने रहने के लिए 2 करोड़ रुपये की मांग की थी। वाजे ने चिट्ठी में ये भी दावा किया है कि ठाकरे सरकार के एक और मंत्री अनिल परब ने उससे कॉन्ट्रैक्टर्स से पैसे उगाहने के लिए कहा था। अनिल परब ने वाजे के द्वारा लगाए गए आरोपों से इनकार किया है। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि वाजे द्वारा लगाए गए आरोप बेहद गंभीर हैं और इन्हें देखे जाने की ज़रूरत है।
पाटिल ने मुंबई में पत्रकारों से कहा, “कुछ लोग राज्य सरकार के दो मंत्रियों के ख़िलाफ़ अदालत में जाएंगे और इसके बाद उन्हें अपने पदों से इस्तीफ़ा देना होगा। ऐसी भी संभावना है कि अनिल परब पर लगे आरोपों को अनिल देशमुख के ख़िलाफ़ चल रही जांच में ही जोड़ दिया जाए।”
पाटिल ने कहा कि महा विकास अघाडी की सरकार सचिन वाजे का खुलकर बचाव कर रही थी और यह सरकार एक संगठित अपराध में शामिल थी।
परमबीर सिंह के आरोप
पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने देशमुख पर आरोप लगाया था कि उन्होंने सचिन वाज़े को हर महीने 100 करोड़ रुपये उगाहने का टारगेट दिया था। इसे लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा था। इससे पहले उन्हें मुंबई पुलिस के आयुक्त पद से हटा दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
बॉम्बे हाई कोर्ट ने जांच एजेंसी सीबीआई से कहा था कि वह परमबीर सिंह द्वारा अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोपों की 15 दिन के अंदर जांच करे। हाई कोर्ट के फ़ैसले के कुछ घंटे बाद ही अनिल देशमुख ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। महाराष्ट्र की महा विकास अघाडी सरकार और अनिल देशमुख ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दोनों की याचिका को खारिज कर दिया है।
महाराष्ट्र में नवंबर, 2019 यानी जब से महा विकास अघाडी की सरकार बनी है, तभी से इस सरकार के भविष्य को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं। शिव सेना कई बार आरोप लगा चुकी है कि बीजेपी और केंद्र सरकार जांच एजेंसियों द्वारा दबाव बनाकर ठाकरे सरकार को गिराना चाहती है।
शिव सेना ने चेताया है कि बीजेपी का यह सपना कभी पूरा नहीं होगा। बीजेपी के नेता कई बार राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की भी मांग कर चुके हैं।
नवंबर, 2019 में बीजेपी ने सरकार बनाने के लिए एनसीपी में तोड़फोड़ की थी लेकिन तब उसे मुंह की खानी पड़ी थी क्योंकि अजित पवार के साथ गए विधायक कुछ ही घंटों में वापस एनसीपी में आ गए थे।
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