सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में महाराष्ट्र सरकार के कैबिनेट मंत्री और एनसीपी के नेता नवाब मलिक की जमानत याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि नवाब मलिक इस मामले में जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट के पास जाएं। नवाब मलिक की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने मलिक को गिरफ्तार किए जाने पर सवाल उठाया।
बता दें कि जांच एजेंसी ईडी ने इस साल फरवरी में नवाब मलिक को गिरफ्तार कर लिया था। नवाब मलिक की गिरफ्तारी दाऊद इब्राहिम और अंडरवर्ल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में की गई थी।
जमानत याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह मामला अभी शुरुआती दौर में है और अभी शीर्ष अदालत का इसमें दखल देना ठीक नहीं होगा। इसलिए जमानत के लिए नवाब मलिक के वकील को उचित अदालत के पास जाना चाहिए। जबकि कपिल सिब्बल ने अपनी दलील में कहा कि हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की थी कि इस मामले में जांच की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन सॉलिसिटर जनरल ने उनकी दलील को काटते हुए कहा कि हाई कोर्ट ने इस तरह की कोई टिप्पणी नहीं की थी।
क्या है मामला?
नवाब मलिक पर आरोप है कि उन्होंने दाऊद इब्राहिम के सहयोगी सरदार शाह वली खान, दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर के साथ मिलकर एक डील की थी।
चार्जशीट दाखिल
ईडी ने गुरूवार को इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है। चार्जशीट में ईडी ने नवाब मलिक के अलावा सॉलिड्स इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, मलिक इंफ्रास्ट्रक्चर, दाऊद इब्राहिम के परिवार और दूसरे लोगों के नाम शामिल किए हैं। इस मामले में नवाब मलिक के ख़िलाफ़ यह पहली चार्जशीट है।
ईडी ने चार्जशीट में बताया है कि नवाब मलिक ने कुर्ला में हसीना पारकर और 1993 के बम धमाकों के आरोपी सरदार शाह वली खान से पौने 3 एकड़ का प्लॉट खरीदा था और इसके लिए पैसा भी दिया गया था।
ईडी ने नवाब मलिक पर आरोप लगाया है कि मलिक ने जो पैसा सरदार शाह वली खान को दिया था वह पैसा हसीना पारकर के ज़रिए दाऊद इब्राहिम तक पहुंचा था जिसका इस्तेमाल टेरर फंडिंग में किया गया था।
ईडी ने चार्जशीट में बताया है कि नवाब मलिक ने यह डील 2003 से लेकर 2005 के बीच में की थी और उसके बाद मलिक ने इस ज़मीन पर निर्माण करके उसे किराए पर दे दिया था और इस प्रॉपर्टी से नवाब मलिक के परिवार के लोगों ने क़रीब 12 करोड़ रुपये की कमाई की थी।
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