चुनावी साल है इसलिए कोई पीछे नहीं रहना चाहता। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने मृतकों को लेकर संवेदना व्यक्त की है तो विपक्ष यह सवाल खड़े कर रहा है कि ऐसा हुआ क्यों और कैसे?
मुम्ब्रा में साल 2013 के हादसे में 75 से ज़्यादा लोग मारे गए थे और 60 से ज़्यादा गंभीर रूप से घायल हुए थे। इमारत अवैध थी और बिल्डर, ठेकेदार और ठाणे महानगरपालिका के एक दो अधिकारियों पर गाज गिरने के कुछ दिनों बाद सब कुछ जस का तस हो जाता है और महानगर अपनी रफ़्तार से फिर दौड़ने लगता है।
2013 से 18 के बीच मुंबई में क़रीब 2704 इमारतें गिरीं और इन हादसों में 234 लोगों की मौत हो गयी और 840 से अधिक घायल हो गए। यह आंकड़ा है महानगर का, इसमें ठाणे, नवी मुंबई, भायंदर, दहिसर जैसे कई उपनगरों का समावेश नहीं है। इन हादसों के पीछे जो बड़ा कारण बताया जाता है वह है मुंबई में क़रीब 16000 ऐसी इमारतें हैं जो 100 साल से भी ज़्यादा पुरानी हैं। जो इमारत मंगलवार को गिरी वह 117 साल पुरानी थी।
मुंबई महानगरपालिका (मनपा) और राज्य दोनों जगह बीजेपी-शिवसेना की सरकार है। मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ा तो मनपा प्रशासन ने कहा कि उन्होंने साल 2017 में ही इस इमारत को धोखादायक घोषित किया हुआ था लेकिन उसके बावजूद लोग यहाँ रहते थे।
सवाल यह उठता है कि क्या महानगरपालिका और म्हाडा के अधिकारी सिर्फ़ नोटिस देने या धोखादायक इमारतों की सूची प्रकाशित करने तक ही अपनी जवाबदेही तय करके बैठे हैं?
बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कार्पोरेशन (बीएमसी) ने पूरी मुंबई में 625 इमारतों को ख़तरनाक घोषित कर उन्हें खाली करने का नोटिस दिया हुआ है। इमारतों से हटकर देखें तो ऐसी ही स्थिति ओवर ब्रिज या रेलवे के ब्रिज की भी है।
15 मार्च 2019 को छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस वाला पुल टूट गया था और छह लोग मारे गये थे। एक और हादसा 3 जुलाई, 2018 को मुंबई के अंधेरी में गोखले ब्रिज पर भी हुआ था। पुल का एक हिस्सा रेलवे ट्रैक पर गिर पड़ा था। इस हादसे में किसी की जान नहीं गयी थी, रेल ड्राइवर ने ब्रिज के मलबे को गिरता देख आपातकालीन ब्रेक मार कर बड़ा हादसा बचा लिया था।
इसी साल 29 सितंबर को मुंबई में एक बेहद ही दर्दनाक हादसा हुआ था। परेल-एलफिंस्टन रेलवे स्टेशन के बीच ओवर ब्रिज टूटने की अफ़वाह की वजह से 35 लोगों की मौत हो गई थी। यह हादसा तब हुआ था, उस समय भी मुंबई में भारी बारिश हो रही थी। लोग ब्रिज में खड़े होकर बारिश ख़त्म होने का इंतजार कर रहे थे। लेकिन तभी यह अफ़वाह फैली कि पुल का एक हिस्सा टूट गया है, जिसके बाद भगदड़ मच गई। भगदड़ की वजह से 23 लोगों की जान चली गई थी, वहीं 39 से भी ज़्यादा लोग घायल हुए थे।
ऐसे हादसे होते हैं कुछ दिन मीडिया की सुर्ख़ियों में रहते हैं, सरकार की तरफ़ से जाँच कमेटियाँ बिठाई जाती हैं और मृतकों और घायलों को कुछ राशि प्रदान कर दी जाती है लेकिन बाद में स्थिति ढाक के तीन पात जैसी हो जाती है ?
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