शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट को एक और झटका लगा है। सांसद गजानन कीर्तिकर ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट को ज्वाइन कर लिया है। इसके तुरंत बाद उद्धव ठाकरे गुट ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि गजानन कीर्तिकर को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। गजानन कीर्तिकर 13वें सांसद हैं जिन्होंने उद्धव ठाकरे को छोड़कर शिंदे गुट का हाथ पकड़ा है। वह एकीकृत शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के भी सदस्य थे।
मुंबई में लोकसभा की 6 सीटें हैं इसमें से तीन बीजेपी के पास हैं और तीन शिवसेना के पास हैं। शिवसेना के 3 सांसदों में से दो सांसद शिंदे गुट के साथ आ चुके हैं। गजानन कीर्तिकर से पहले सांसद राहुल शेवाले भी शिंदे गुट के साथ आ गए थे जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद अरविंद सावंत अभी भी ठाकरे गुट के साथ हैं।
शिवसेना में बगावत
याद दिलाना होगा कि इस साल जून में शिवसेना में बड़ी बगावत हुई थी और शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। शिवसेना के 55 में से 40 विधायक एकनाथ शिंदे गुट के साथ हैं और बड़ी संख्या में लोकसभा सांसदों के साथ ही महाराष्ट्र के कई जिलों में शिवसैनिक एकनाथ शिंदे गुट के साथ आ गए हैं।
असली शिवसेना की जंग
उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के गुटों के बीच चुनाव आयोग में असली शिवसेना को लेकर जंग चल रही है। एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट के बीच इस जंग को देखते हुए चुनाव आयोग ने शिवसेना के आधिकारिक चुनाव चिन्ह धनुष और बाण को फ्रीज कर दिया था।
चुनाव आयोग की ओर से शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट को शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे का नाम दिया गया है और इस गुट को मशाल का चुनाव चिन्ह मिला है जबकि एकनाथ शिंदे गुट को बालासाहेबची शिवसेना का नाम मिला है और एक ढाल और दो तलवार का चुनाव चिन्ह दिया गया है।
नया सियासी समीकरण
महाराष्ट्र में नवंबर 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद जब शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने मिलकर महा विकास आघाडी सरकार बनाई थी तो एक नए समीकरण का उदय हुआ था। इससे पहले महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना-बीजेपी का गठबंधन होता था लेकिन महा विकास आघाडी के नए गठबंधन के बाद बीजेपी अलग-थलग पड़ गई थी। जून में शिवसेना में हुई बगावत के बाद बीजेपी को राज्य की सत्ता में वापसी करने का मौका मिला है।
आने वाले दिनों में बृहन्मुंबई महानगरपालिका यानी बीएमसी के चुनाव होने हैं। बीएमसी के चुनाव बेहद अहम होते हैं और इस चुनाव में बीजेपी और शिवसेना का शिंदे गुट एक तरफ होंगे जबकि शिवसेना का उद्धव ठाकरे गुट, कांग्रेस और एनसीपी मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं।
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शिंदे-ठाकरे गुट में तनातनी
बताना होगा कि बगावत के बाद से ही एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के गुटों के बीच तनातनी चल रही है। हाल ही में शिवाजी पार्क से सटे इलाके में उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे गुट के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई थी जिसमें शिंदे गुट के विधायक सदा सरवणकर ने अपनी पिस्टल से फायरिंग कर दी थी। शिवाजी पार्क में दशहरा रैली को लेकर भी शिवसेना के दोनों गुटों के बीच जबरदस्त तनाव चला था। शिवाजी पार्क में 5 अक्टूबर को होने वाली रैली का मामला हाई कोर्ट पहुंचा था और कोर्ट ने उद्धव गुट के पक्ष में फैसला दिया था।
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