मनसे के शामिल होने की थी चर्चा
कुछ दिन पहले तक यह चर्चा थी कि कांग्रेस-एनसीपी के गठबंधन में मनसे भी शामिल होगी। इन चर्चाओं को उस समय और बल मिला जब दिल्ली में शरद पवार महाराष्ट्र में सीटों के गठबंधन पर राहुल गाँधी से चर्चा कर रहे थे तो मुंबई में शरद के भतीजे अजित पवार मनसे प्रमुख राज ठाकरे के साथ उनके निवास पर चाय पी रहे थे। बाद में अजित पवार ने पत्रकारों को इशारा भी किया कि उनकी पार्टी को इस गठबंधन से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन निर्णय सहयोगी दल कांग्रेस को करना है।
- कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस को मनसे का साथ पसंद नहीं है। इसके पीछे जो सबसे बड़ा कारण है वह ग़ैर मराठी यानी हिंदी भाषी मतदाता। उत्तर प्रदेश और बिहार से मुंबई में आकर कारोबार करने वाले या नौकरी करने वालों को लेकर मनसे की भूमिका।
मुंबई, ठाणे में हिंदी भाषी निर्णायक
कांग्रेस को अच्छी तरह से पता है कि मुंबई और ठाणे जिले की 9 लोकसभा सीटों में हिंदी भाषी निर्णायक मतदाता की भूमिका निभाते हैं। 2009 के लोकसभा चुनावों में ये मतदाता कांग्रेस के साथ खड़े थे जिससे कांग्रेस और एनसीपी ने इन 9 में से 8 सीटों पर जीत हासिल की थी। मुंबई में कांग्रेस ने 5 और एनसीपी ने 1 सीट जीती थी जबकि ठाणे जिले में ठाणे सीट एनसीपी तथा भिवंडी सीट पर कांग्रेस ने विजय हासिल की थी। लेकिन 2014 में कांग्रेस का यह परम्परागत मतदाता ‘अच्छे दिन आएँगे’ के नारे पर उससे छिटक गया और कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन इन सभी सीटों पर हार गया।
निरुपम, प्रियंका से है उम्मीद
कांग्रेस ने हिंदी भाषी मतदाताओं पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए शिवसेना से कांग्रेस में आए जुझारू नेता संजय निरुपम को मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर बिठाया है। प्रियंका गाँधी के राजनीति में प्रवेश से भी कांग्रेस यह कोशिश कर रही है कि वह हिंदी भाषी मतदाताओं को ज़्यादा से ज़्यादा अपनी तरफ़ आकर्षित कर सके।
मुंबई में उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल से आने वाले हिंदी भाषियों की संख्या काफ़ी है और कांग्रेस उसका लाभ उठाना चाहती है। लेकिन अगर वह मनसे को अपने क़रीब खड़ा करती है तो भारतीय जनता पार्टी को बैठे-बिठाए मुद्दा मिल जाएगा।
मोदी, नीतीश पर उठाए थे सवाल
कांग्रेस नेताओं का मानना है कि महाराष्ट्र में मनसे के साथ का असर सिर्फ़ मुंबई या ठाणे तक ही नहीं उत्तर प्रदेश और बिहार तक फ़ैल जाएगा। उल्लेखनीय है कि गत दिनों पटना के गाँधी मैदान में हुई रैली में राहुल गाँधी ने अपने भाषण में गुजरात में बिहार के लोगों के साथ मारपीट की घटनाओं पर मोदी और नीतीश कुमार को घेरा था।
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