सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनका समर्थन करने वाले विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर 31 दिसंबर तक फैसला करने का निर्देश दिया।
इस महीने की शुरुआत में, सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले में देरी के लिए नार्वेकर की खिंचाई की थी। अदालत ने कहा था कि यदि स्पीकर प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए पहल करने में विफल रहते हैं तो अदालत एक समयसीमा तय करेगी। अदालत ने सोमवार को वही समयसीमा तय कर दी।
सुप्रीम कोर्ट ने 13 अक्टूबर को कहा था कि “हम इस अदालत की गरिमा बनाए रखने के बारे में चिंतित हैं। हमारे आदेशों का पालन किया जाना चाहिए।” 18 अक्टूबर को, अदालत ने फिर से महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर से शिवसेना विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं की सुनवाई के लिए समयसीमा पेश करने को कहा।
अदालत ने चेतावनी दी है कि अयोग्यता याचिकाओं पर अगले विधानसभा चुनाव से पहले निर्णय लिया जाना चाहिए, अन्यथा पूरी प्रक्रिया व्यर्थ हो जाएगी।
शिंदे और 39 विधायकों के मूल पार्टी से अलग होने और सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ जाने के बाद पिछले साल सेना के गुटों ने एक-दूसरे के खिलाफ अयोग्यता याचिकाएं दायर कीं थीं। जुलाई में स्पीकर ने शिंदे के नेतृत्व वाली सेना के 40 और ठाकरे गुट के 14 विधायकों को नोटिस जारी कर उनके खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर जवाब मांगा था।
कुल 54 विधायकों के खिलाफ नोटिस जारी किए गए थे। लेकिन पिछले साल शिवसेना के विभाजन के बाद चुनी गई सेना (यूबीटी) विधायक रुतुजा लटके के खिलाफ नोटिस जारी नहीं किया गया था। अविभाजित शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में ठाकरे गुट के सुनील प्रभु ने पिछले साल पार्टी में विद्रोह और इसके परिणामस्वरूप विभाजन के बाद शिंदे और 15 अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की थी।
इस साल 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने रहेंगे। इसने यह भी कहा कि वह ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार को बहाल नहीं कर सकती। क्योंकि बाद में शिंदे के विद्रोह के मद्देनजर फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना उद्धव ने इस्तीफा देने का फैसला किया था।
शिवसेना (यूबीटी) ने नार्वेकर पर अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाया है। 21 सितंबर को, नार्वेकर ने कहा कि वह कुछ शिवसेना विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले में देरी नहीं करेंगे, लेकिन इसमें जल्दबाजी भी नहीं करेंगे।
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