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मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे

महाराष्ट्रः शिंदे ने भी माना भाजपा के 400 पार नारे ने सब गड़बड़ कर दिया

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का कहना है कि लोकसभा चुनाव में '400 पार' के नारे ने लोगों के मन में भारतीय संविधान को बदलने और आरक्षण हटाने को लेकर आशंका पैदा कर दी। इसी वजह से गड़बड़ हुआ। याद दिला दें कि मोदी ने ही सबसे पहले अबकी बार 400 पार का नारा दिया था। उन्होंने खुद मंच से ये नारा लगाया था। इस तरह भाजपा ने एनडीए गठबंधन में अपने सहयोगियों द्वारा जीती गई सीटों सहित कुल मिलाकर 400 से अधिक सीटें हासिल करने का लक्ष्य रखा था। कई एग्जिट पोल ने फर्जी आंकड़े दिखाकर यह अनुमान 401 तक पहुंचा दिया। बाद में एक एग्जिट पोल वाले को टीवी चैनल पर घड़ियाली आंसू बहाते देखा गया।

400 पार के नारे के कारण लोगों ने सोचा कि भविष्य में संविधान बदलने और आरक्षण हटाने जैसे मुद्दों पर कुछ गड़बड़ हो सकती है।


-एकनाथ शिंदे, मुख्यमंत्री महाराष्ट्र, 11 जून 2024 सोर्सः पीटीआई

मुंबई में कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की एक बैठक के दौरान शिंदे ने कहा, ''(विपक्ष की) झूठी कहानी के कारण हमें कुछ स्थानों पर नुकसान हुआ। हमें महाराष्ट्र में भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ा।”

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महाराष्ट्र में, भाजपा की सीटें 2019 में जीती गई 23 सीटों में से घटकर केवल नौ सीटें रह गईं। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना ने सात सीटें हासिल कीं, जबकि अजीत पवार की एनसीपी केवल एक सीट जीतने में सफल रही। इससे राज्य की 48 सीटों में से एनडीए की कुल सीटें घटकर 17 रह गईं। इसके विपरीत, सेना-भाजपा गठबंधन ने 2014 में 43 सीटें हासिल की थीं।

महाराष्ट्र में इस बार इतनी बड़ी हार को दबाने की कोशिश हो रही है लेकिन वो किसी न किसी बहाने सामने आ जाती है। नतीजों के बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने इसके लिए जवाबदेही का हवाला देते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व से उन्हें उनकी जिम्मेदारियों से मुक्त करने का अनुरोध किया था। जिसे ठुकरा दिया गया।

चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस ने आरोप लगाया कि 400 से अधिक सीटों के नारों के पीछे भाजपा का असली इरादा संविधान को बदलना और आरक्षण खत्म करना है। पार्टी के उस समय तक सांसद अनंतकुमार हेगड़े सहित कई भाजपा नेताओं ने सार्वजनिक रूप से संविधान में "बदलाव" की वकालत की। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए भाजपा को लोकसभा की 543 में से 400 सीटें सुरक्षित करनी होंगी। हालांकि, बाद में बीजेपी ने हेगड़े की टिप्पणियों से खुद को अलग कर लिया। हेगड़े का टिकट काट दिया। लेकिन यही बयान अयोध्या के उस समय तक सांसद लल्लू सिंह ने भी दिया। लल्लू सिंह को इसके बावजूद टिकट दिया गया। लल्लू सिंह फैजाबाद (अयोध्या) से हार गए और भाजपा की पूरी इज्जत मिट्टी में मिल गई। अयोध्या से भाजप की हार ने उसके हिन्दुत्व की राजनीतिक का पर्दाफाश कर दिया।

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केंद्र में मोदी की सरकार फिर बन गई है। लेकिन अब वो कई दलों की बैसाखियों पर टिकी हुई है, जिसमें टीडीपी और जेडीयू प्रमुख हैं। अगर ये दोनों दल समर्थन वापस ले लें तो सरकार गिर भी सकती है। लेकिन अभी यह सब अनुमान लगाना जल्दीबाजी होगी।
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क़मर वहीद नक़वी
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