महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल का विस्तार होने के बाद एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने नए मंत्रियों को बंगले आवंटित करना शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री का आधिकारिक निवास वर्षा बंगला होता है। लेकिन महाराष्ट्र के एक "रामटेक" नाम का बंगला सुर्खियाँ बटोर रहा है। महाराष्ट्र के मंत्रियों में ऐसा अंधविश्वास है कि जो मंत्री इस बंगले में रहता है उसकी कुर्सी चली जाती है। पूर्व की सरकार में यह बंगला एनसीपी के नेता छगन भुजबल को अलॉट हुआ था, उनकी कुर्सी चली गई थी। कहा जा रहा है कि यही कारण है कि सरकार का कोई भी मंत्री इस बंगले को लेना नहीं चाहता है।
महाराष्ट्र की नई सरकार में मंत्रियों को बंगलों का बँटवारा हो गया है। पिछली सरकारों के मुताबिक़ इस सरकार में भी रामटेक नाम के बंगले का चुनाव करता हुआ कोई भी मंत्री नहीं दिखा। इस बीच मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी की गई लिस्ट के मुताबिक इस बार रामटेक बंगला शिवसेना के शिंदे गुट के मंत्री दीपक केसरकर को दिया गया है। सूत्रों से पता चला है कि महाराष्ट्र सरकार की तरफ से कई मंत्रियों से उनके पसंदीदा 3 बंगलों की लिस्ट मांगी गई थी लेकिन दीपक केसरकर को छोड़कर किसी भी मंत्री ने रामटेक बंगले का नाम इस लिस्ट में नहीं दिया। यही कारण है कि आखिर में दीपक केसरकर को रामटेक बंगला अलॉट कर दिया गया।
रामटेक बंगला ना लेने के पीछे की एक अंधविश्वास भरी कहानी है। महाराष्ट्र की राजनीति में ऐसा माना जाता है कि जो भी मंत्री रामटेक बंगला में चला जाता है, या तो उसकी सरकार से बर्खास्तगी हो जाती है या फिर वह जेल चला जाता है। कुछ साल पहले ये बंगला भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे के पास गया लेकिन कुछ ही समय के बाद उनके हाथ से भी निकल गया। इसके बाद गोपीनाथ मुंडे कभी भी महाराष्ट्र में मंत्री नहीं बन सके। इसके बाद एनसीपी के नेता छगन भुजबल कांग्रेस, एनसीपी की सरकार में मंत्री बने और उन्हें रामटेक बंगला ही अलॉट किया गया, लेकिन सरकार ने तो अपना कार्यकाल पूरा किया, इसी बीच मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में छगन भुजबल की गिरफ्तारी हो गई और उन्हें मंत्री पद के साथ-साथ रामटेक बंगले को भी छोड़ना पड़ा।
इसके बाद साल 2014 में जब बीजेपी की सरकार एक बार फिर से महाराष्ट्र में बनी तो बीजेपी के नेता एकनाथ खडसे को मंत्री बनाया गया और उन्हें रामटेक बंगला अलॉट किया गया।
एकनाथ खडसे के मंत्री बनाए जाने के कुछ दिन बाद ही उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे जिसके बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा व बंगला खाली करना पड़ा। इसके बाद से यह बंगला खाली पड़ा है और किसी ने भी इस बंगले की डिमांड नहीं की।
साल 2019 में जब एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना की महा विकास आघाडी सरकार बनी तो एक बार फिर से छगन भुजबल को मंत्री बनाया गया और रामटेक बंगला लेने की बात कही। तत्कालीन ठाकरे सरकार ने छगन भुजबल को रामटेक बंगला अलॉट कर दिया था लेकिन इसी बीच ढाई साल में ही महा विकास आघाडी सरकार गिर गई और छगन भुजबल को मंत्री पद के साथ-साथ बंगला छोड़ना पड़ गया।
अब इस सरकार में शिवसेना कोटे के मंत्री दीपक केसरकर ने खुद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से गुजारिश की थी कि उन्हें रामटेक बंगला अलॉट कर दिया जाए। हालांकि महाराष्ट्र सरकार ने मंत्रियों से उनके तीन बंगले की लिस्ट मांगी थी लेकिन किसी भी मंत्री ने रामटेक बंगले को लेने के लिए आवेदन नहीं दिया था। रामटेक बंगला अलॉट होने पर दीपक केसरकर का कहना है कि मैं हिंदू आस्था में रखने वाला व्यक्ति हूं मुझे कोई भी बंगला लेने में गुरेज नहीं है। लेकिन इस घटना को देखकर ऐसा कहा जा सकता है कि महाराष्ट्र की राजनीति में आज भी अंधविश्वास का पहरा बना हुआ है।
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