महा विकास आघाडी सरकार के लिए मुसीबत बने शिवसेना के बागी बागी और निर्दलीय विधायकों ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को पत्र भेजा है। इस पत्र में 34 विधायकों के दस्तखत हैं। इसमें से 30 विधायक शिवसेना के हैं जबकि चार निर्दलीय विधायक हैं।
इधर, शिवसेना ने इस सियासी संकट पर सामना में लिखे ताज़ा संपादकीय में कहा है कि पार्टी का संगठन मजबूत है इसलिए ‘अलग समूह’ बनाकर असम में गए लोगों को विधायक, माननीय बनने का मौका मिला। ये सभी विधायक एक बार फिर चुनाव का सामना करते हैं तो जनता उन्हें पराजित किए बगैर नहीं रहेगी। आज जो बीजेपी वाले उन्हें हाथों की हथेली पर आए जख्म की तरह संभाल रहे हैं, वे आवश्यकता समाप्त होते ही पुन: कचरे में फेंक देंगे। बीजेपी की परंपरा यही रही है।
गुरूवार को एनसीपी ने भी अपने विधायकों और एमएलसी की बैठक बुलाई है। कांग्रेस अपने विधायकों के लगातार संपर्क में है।
तीन और विधायक एकनाथ शिंदे के बागी कैंप में शामिल हो गए हैं। इन विधायकों में मंगेश कुडालकर, सदा सरवनकर व एक अन्य विधायक हैं।
शिंदे ही हैं नेता
राज्यपाल को लिखे पत्र में बागी विधायकों ने कहा है कि एकनाथ शिंदे अभी भी शिवसेना के विधायक दल के नेता हैं। शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना ने कार्रवाई करते हुए उन्हें विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया था।
पत्र में विधायकों ने कहा है कि पार्टी ने अपनी विचारधारा और सिद्धांतों से समझौता कर लिया है और इससे पार्टी के कार्यकर्ता नाराज हैं।
पत्र में लिखा है कि शिवसेना के कार्यकर्ताओं में एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाए जाने को लेकर भी नाराजगी है क्योंकि इनकी विचारधारा पूरी तरह शिवसेना के विपरीत है।
एकनाथ शिंदे ने बुधवार को ट्वीट कर शिवसेना के कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन को अप्राकृतिक बताया था और इससे बाहर निकलना जरूरी बताया था।
उधर, कांग्रेस और एनसीपी ने शिवसेना प्रमुख और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को यह सुझाव दिया है कि एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना दिया जाए। ऐसे में हो सकता है कि महा विकास आघाडी सरकार इस सियासी संकट से बच जाए।
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