महाराष्ट्र की बीजेपी-एकनाथ शिंदे सरकार ने विपक्षी दलों के 25 नेताओं की सुरक्षा हटा दी है। इन नेताओं में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के नेता शामिल हैं। जिन नेताओं की सुरक्षा हटाई गई है उनमें अनिल देशमुख, छगन भुजबल, बालासाहेब थोराट, नितिन राउत, नाना पटोले, जयंत पाटिल, संजय राउत, विजय वडेट्टीवार, धनंजय मुंडे, नवाब मलिक, नरहरि झिरवल, सुनील केदार, असलम शेख, अनिल परब और अन्य के नाम शामिल हैं।
एनसीपी के नेता और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और पूर्व गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल की सुरक्षा को जेड कैटेगरी से घटाकर वाई प्लस कर दिया गया है।
हालांकि एनसीपी के मुखिया शरद पवार, उनकी बेटी और बारामती लोकसभा सीट से सांसद सुप्रिया सुले सहित उनके परिवार की सुरक्षा बरकरार रखी गई है।
नया सियासी समीकरण
महाराष्ट्र में नवंबर 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद जब शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने मिलकर महा विकास आघाडी सरकार बनाई थी तो एक नए समीकरण का उदय हुआ था। इससे पहले महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना-बीजेपी का गठबंधन होता था लेकिन महा विकास आघाडी के नए गठबंधन के बाद बीजेपी अलग-थलग पड़ गई थी। जून में शिवसेना में हुई बगावत के बाद बीजेपी को राज्य की सत्ता में वापसी करने का मौका मिला है।
सामने हैं बीएमसी चुनाव
शिवसेना के एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट के बीच चल रहे घमासान को देखते हुए चुनाव आयोग ने शिवसेना के आधिकारिक चुनाव चिन्ह धनुष और बाण को फ्रीज कर दिया था। इसके बाद दोनों गुटों को अलग-अलग नाम आवंटित किए हैं और साथ ही अलग-अलग चुनाव चिन्ह भी दिए गए हैं। शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट को शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे का नाम दिया गया है और इस गुट को मशाल का चुनाव चिन्ह मिला है जबकि एकनाथ शिंदे गुट को बालासाहेबची शिवसेना का नाम मिला है और एक ढाल और दो तलवार का चुनाव चिन्ह दिया गया है।
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