महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार 1 नवंबर को मुंबई में सर्वदलीय बैठक के बाद घोषणा की कि सभी राजनीतिक दल मराठा आरक्षण देने पर राज्य सरकार के साथ खड़े हैं। सीएम ने कहा, आगे यह निर्णय लिया गया कि आरक्षण कानून के दायरे में और अन्य समुदायों के साथ अन्याय किए बिना होना चाहिए। सर्वदलीय बैठक में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र की मुख्य विपक्षी पार्टी शिवसेना (यूबीटी) को नहीं बुलाया गया था।
मुख्यमंत्री ने आंदोलनकारियों से शांति बनाए रखने और सरकार के प्रयासों में सहयोग करने का भी अनुरोध किया। सीएम शिंदे की अध्यक्षता में मराठा आरक्षण पर सर्वदलीय बैठक में नेताओं ने एक प्रस्ताव भी पारित किया, जिसमें कार्यकर्ता मनोज जारांगे से अनिश्चितकालीन उपवास खत्म करने के लिए कहा गया। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता जारांगे को मराठा समुदाय के लिए कोटा सुनिश्चित करने में सरकार के साथ सहयोग करना चाहिए।
सर्वदलीय बैठक में राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फणवीस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सुप्रीमो शरद पवार, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल, चंद्रकांतदादा पाटिल, छगन भुजबल, दिलीप वलसे पाटिल, गिरीश महाजन, दादाजी भुसे, विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे, विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार और अपनी-अपनी पार्टियों के कई नेता उपस्थित थे।
पत्रकारों से बात करते हुए शिंदे ने कहा, ''...सर्वदलीय बैठक में सभी इस बात पर सहमत हुए कि दूसरों समुदायों के साथ अन्याय किए बिना आरक्षण होना चाहिए। लेकिन इसके लिए और समय दिया जाना चाहिए।'' कुल मिलाकर सरकार समेत सभी दल मराठा कोटा देने पर सहमत नजर आए।
शिंदे ने कहा कि जो भी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हो रही हैं, उनको लेकर सभी ने नाराजगी जताई है... बहरहाल, मराठा आरक्षण के लिए तीन रिटायर्ड जजों की एक कमेटी बनाई गई है... पिछड़ा वर्ग आयोग युद्धस्तर पर काम कर रहा है। मराठा समाज को न्याय देने के लिए जल्द ही फैसले लिए जाएंगे...समय देने की जरूरत है और मराठा समाज को भी धैर्य रखना चाहिए...''
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