महाराष्ट्र एनसीपी में बन
रहे संकट पर अजीत पवार ने चुप्पी तोड़ी है। पवार ने मंगलवार को कहा कि उनके बीजेपी
में शामिल होने की अफवाहों में कोई सच्चाई नहीं है। मैं एनसीपी के ही साथ हूं और
कहीं नहीं जा रहा हूं। चल रही अफवाहों पर उन्होंने यह भी साफ किया कि किसी ने भी
एक भी विधायक के हस्ताक्षर नहीं लिए हैं। अजीत पवार का बयान आने के बावजूद
महाराष्ट्र में अटकलों को विराम नहीं लगा है।
अजीत पवार ने पत्रकारों
से कहा, 'ये सभी आधारहीन अटकलें
हैं, 'मैंने किसी विधायक के
हस्ताक्षर नहीं लिए हैं। इन सभी अफवाहों पर रोक लगनी चाहिए। अजीत पवार ने इन खबरों
को प्रकाशित करने के लिए मीडिया की भी आलोचना की और कहा कि इनसे एनसीपी में भ्रम
की स्थिति पैदा हो गई है। अजीत पवार ने कहा, ''मैं एनसीपी कार्यकर्ताओं को बताना बताना चाहता हूं,'चिंता न करें, एनसीपी का गठन शरद पवार के नेतृत्व में हुआ था, उसके बाद से कई बार ऐसा हुआ है, जब हम सत्ता में या विपक्ष में रहे हैं।
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फिलहाल अजीत पवार ने
भाजपा में शामिल होने से इनकार कर दिया है। उनके करने से कुछ घंटे पहले ही शरद
पवार ने इस तरह की अटकलों को खारिज कर दिया था, और कहा था कि पार्टी के विधायकों की कोई बैठक नहीं बुलाई गई
है। अजीत के बीजेपी में शामिल होने की खबरों को चलाने को लेकर शरद पवार ने भी
मीडिया की आलोचना की।
अजित पवार ने आज कहा अब
इन चर्चाओं का कोई महत्व नहीं है। हमारे सभी सहयोगी पार्टी को मजबूत बनाने के लिए
लगे हुए हैं और एकजुट हैं, किसी के मन में
कोई दूसरा विचार नहीं है।
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की
एक रिपोर्ट में तल दावा किया गया था कि अजीत पवार ने महाविकास अघाड़ी गठबंधन से
अलग होने का फैसला लिया है। इसके लिए उन्होंने पार्टी के 53 में से 40 विधायकों का समर्थन
पत्र लेकर बीजेपी में शामिल होने की योजना बनाई है जिससे की राज्य की सरकार को
मजबूत किया जा सके।
इसी रिपोर्ट में यह भी
दावा किया गया था कि शरद पवार ने अजित पवार की बगावत को रोकने के लिए कोई प्रयास
नहीं किया।
महाराष्ट्र की राजनीति
में मची उथल-पुथल के बीच अजीत का बीजेपी में शामिल होना इसलिए भी महत्वपूर्ण माना
जा रहा है क्यों कि आने वाले दिनों में सरकार में शामिल एकनाथ शिंदे गुट के 16 विधायकों की सदस्यता पर सुप्रीम कोर्ट का
फैसला आने वाला है, कयास लगाए जा रहे
हैं कि यह फैसला शिंदे गुट के खिलाफ जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो सरकार अल्पमत में
आ जाएगी। इससे बचने के लिए बीजेपी लगातार प्रयास कर रही है कि वह एनसीपी के कुछ
विधायकों को अपने पाले में कर ले।
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बीजेपी द्वारा एनसीपी को
निशाना बनाने का कारण यह भी है कि शिवसेना में बंटवारे के बाद एनसीपी बीजेपी के
बाद राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। अजीत पवार बीजेपी
का आसान शिकार इसलिए भी हैं कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामले हैं, जिनके बहाने उन्हें परेशान किया जा सकता है।
वैसे भी 2019 हुए राज्य के विधानसभा चुनावों के बाद जब किसी
की सरकार बनती नहीं दिख रही थी तब देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर अजीत पवार ने सरकार बना
ली थी। उस दौरान उन्हें उप-मुख्यमंत्री बनाया गया था, हालांकि वह सरकार तीन दिन के भीतर ही गिर गई थी। उस समय
सरकार गिरने की जो वजह बताई गई थी वह थी कि जिन विधायकों ने अजीत का समर्थन किया
था वे वादे से मुकर गये थे।
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