क्या महाराष्ट्र में महाविकास आघाडी अब भारतीय जनता पार्टी को उसी के दाँव से चित करने की योजना बना रही है जिस खेल से लोकसभा चुनाव और उसके बाद प्रदेश में बड़े पैमाने पर कांग्रेस -राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेताओं में दल-बदल के लिए भगदड़-सी मच गयी थी? सूत्रों के अनुसार महाविकास आघाडी सरकार, फडणवीस मंत्रिमंडल के उन मंत्रियों के भ्रष्टाचार के आरोपों की रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने जा रही है जिन्हें क्लीनचिट दे दी गयी थी। बताया जा रहा है कि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे फडणवीस सरकार के चार मंत्रियों के ख़िलाफ़ जाँच को लेकर रिपोर्ट बजट अधिवेशन में रखी जानी है।
इसके तहत वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के 33 करोड़ वृक्ष लगाए जाने के अभियान की भी जाँच कराई जाएगी। जिन मंत्रियों के ख़िलाफ़ जाँच की रिपोर्ट सदन में रखे जाने का प्रस्ताव आने वाला है उसमें स्कूली बच्चों के पोषक आहार से संबंधित चिक्की घोटाले को लेकर चर्चाओं में आयी महिला व बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे, गृह निर्माण मंत्री प्रकाश मेहता, सहकारिता मंत्री सुभाष देशमुख और राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे भी शामिल हैं। महाविकास आघाडी सरकार इन मंत्रियों पर लगे आरोपों के ऊपर रिपोर्ट में आए हुए तथ्यों के मद्देनज़र इस मामले की आगे की जाँच भी करा सकती है।
बीजेपी सरकार के कार्यकाल में इन मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और सरकार ने उन आरोपों की जाँच कराने के आदेश दिए थे। कुछ समय बाद इन सभी नेताओं को क्लीनचिट देने की घोषणा कर दी गई लेकिन उनकी जाँच रिपोर्ट सदन में नहीं रखी गई।
विपक्षी दलों द्वारा हंगामा किए जाने पर भी फडणवीस ने इस सम्बन्ध में यह कहा था कि किसी के ख़िलाफ़ कुछ नहीं मिला और आरोप निराधार हैं। लेकिन अब नयी सरकार इन सभी मंत्रियों के ख़िलाफ़ क्या जाँच हुई उसकी रिपोर्ट विधानसभा में रखने वाली है। बीजेपी नेताओं का इस बारे में यह कहना है कि सरकार इन रिपोर्टों के माध्यम से केवल आरोप -प्रत्यारोप का खेल खेलना चाहती है जबकि इस रिपोर्ट में कोई ठोस ग़ैर-व्यवहार आने की बातें नहीं हैं।
एकनाथ खडसे : जमीन घोटाला
पूर्व राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे के ऊपर पुणे ज़िले में अपने पद का इस्तेमाल कर एमआईडीसी (महाराष्ट्र स्टेट इंडस्ट्रियल डवलपेंट कॉर्पोरेशन) की ज़मीन कम दाम में हासिल करने का आरोप था। इसकी वजह से खडसे को पद छोड़ना पड़ा था। जाँच के लिए झोटिंग समिति नियुक्त की गयी थी। समिति ने रिपोर्ट दी लेकिन सरकार ने उसे विधान सभा में यह कहकर नहीं पेश किया कि मामला अदालत में विचाराधीन है लिहाज़ा ऐसा नहीं किया जा सकता।
प्रकाश मेहता : झोपड़पट्टी पुनर्वसन प्रकरण
पूर्व गृह निर्माण मंत्री प्रकाश मेहता पर ताडदेव (मुंबई सेन्ट्रल) स्थित एम. पी. मिल झोपड़पट्टी पुनर्वसन प्रकरण में बिल्डर को लाभ पहुँचाने के लिए पक्षपाती निर्णय करने का आरोप लगा था। उन्होंने इस आदेश से संबंधित फ़ाइल पर एक टिप्पणी लिखी थी- 'मामले से मुख्यमंत्री को अवगत करा दिया गया है' लेकिन हक़ीक़त यह थी कि उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री से कोई बात नहीं की थी। इस प्रकरण की जाँच लोकायुक्त को सौंपी गयी थी और उन्होंने अपनी रिपोर्ट अक्टूबर 2018 में पेश कर दी थी लेकिन उसे भी सरकार ने जारी नहीं किया।
सुभाष देशमुख : भूखंड प्रकरण
तत्कालीन सहकार मंत्री सुभाष देशमुख पर एक आरक्षित भूखंड हासिल कर उस पर बंगला बनाने का आरोप विपक्षी दलों के नेताओं ने लगाया था, लेकिन इस प्रकरण में देशमुख को क्लीन चिट दे दी गयी।
पंकजा मुंडे : चिक्की घोटाला
तत्कालीन महिला व बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे पर स्कूली विद्यार्थियों के लिए चलायी जाने वाली पौष्टिक आहार योजना के तहत चिक्की और मोबाइल फ़ोन खरीदने के मामले में अनुचित तरीक़े अपनाने के आरोप लगे थे। लेकिन भ्रष्टाचार निरोधी विभाग ने पंकजा मुंडे को क्लीनचिट दे दी थी। लेकिन इस मामले की रिपोर्ट भी पेश नहीं की गयी। वैसे पंकजा मुंडे को पोषण आहार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने झटका भी दिया है। पंकजा मुंडे के विभाग ने आँगनवाड़ी पोषण आहार के लिए क़रीब 6300 करोड़ के टेंडर जारी किये थे। बताया जाता है कि ये टेंडर्स महिला बचत समूहों को नहीं मिले और बड़े-बड़े ठेकेदारों को देने के लिए निविदा प्रक्रिया और उसके नियमों में कुछ बदलाव किये गए थे।
इस निविदा प्रक्रिया के ख़िलाफ़ वैष्णो रानी महिला बचत समूह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसकी सुनवाई जस्टिस अरुण मिश्रा व दीपक गुप्ता ने करते हुए मार्च 2019 में आदेश दिए कि ये ठेके तुरंत प्रभाव से रद्द किये जाएँ। आदेश में यह भी कहा गया कि नयी निविदा 4 सप्ताह के अन्दर निकाली जाए तथा उनमें महिला बचत समूहों का समावेश कराया जाए। कोर्ट ने कहा कि जब तक टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती बच्चों के आहार के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाए।
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