मराठी फिल्म हर-हर महादेव को लेकर मुंबई में एनसीपी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए हैं। एनसीपी के विधायक और महाराष्ट्र के पूर्व कैबिनेट मंत्री जितेंद्र आव्हाड ने सोमवार रात को ठाणे के एक मॉल में चल रही हर-हर महादेव फिल्म की स्क्रीनिंग को रुकवा दिया। इस दौरान एनसीपी के कार्यकर्ताओं ने दर्शकों के साथ धक्कामुक्की भी की।
फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान जितेंद्र आव्हाड वहां पहुंचे और उन्होंने लोगों को थिएटर से बाहर जाने के लिए कहा। इस दौरान वहां बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी भी पहुंच गए और घटनाक्रम के वीडियो सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर चलने लगे।
ठाणे के अलावा पुणे में भी इस फिल्म की स्क्रीनिंग को एक मराठा संगठन ने रुकवा दिया।
महाराष्ट्र एनसीपी के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा है कि उनकी पार्टी अभिव्यक्ति की आजादी का समर्थन करती है लेकिन निर्माताओं को फिल्मों में ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा है कि एनसीपी छत्रपति शिवाजी महाराज के इतिहास के तथ्यों के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ को बर्दाश्त नहीं करेगी।
जितेंद्र आव्हाड के जाने के बाद एमएनएस के तमाम नेता ठाणे के इस थिएटर में पहुंच गए और फिल्म को दोबारा शुरू करवा दिया। मनसे के नेताओं ने कहा है कि अगर एनसीपी को इस फिल्म पर कोई एतराज है तो उसे अदालत में जाना चाहिए।
दूसरी ओर, महाराष्ट्र सरकार के संस्कृति मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा है कि वह पूरी कैबिनेट के मंत्रियों को यह फिल्म दिखाएंगे।
इस मामले में बीजेपी के विधायक राम कदम ने कहा है कि एनसीपी के नेताओं को कानून हाथ में लेने की इजाजत किसने दी है। उन्होंने कहा कि जो भी कानून हाथ में लेगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हंगामे के बाद जितेंद्र आव्हाड और एनसीपी के कई कार्यकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
फिल्म के निर्देशक अभिजीत देशपांडे ने कहा है कि उनकी पूरी टीम एनसीपी कार्यकर्ताओं द्वारा की गई इस गुंडई की निंदा करती है। उन्होंने कहा है कि छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर किसी भी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि इस फिल्म को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से अनुमति मिली हुई है।
क्या है विवाद?
इस फिल्म में छत्रपति शिवाजी महाराज और बाजी प्रभु देशपांडे के गहरे रिश्तों को दिखाया गया है। यह फिल्म बाजी प्रभु देशपांडे की वीरता और साहस के बारे में बताती है। फिल्म में दिखाया गया है कि बाजी प्रभु देशपांडे ने एक लड़ाई में केवल 300 सैनिकों के साथ दुश्मन सेना के 12,000 सैनिकों से युद्ध लड़ा था। आरोप है कि छत्रपति शिवाजी महाराज और बाजी प्रभु देशपांडे के बारे में फिल्म में जो दिखाया गया है वह इतिहास के मुताबिक नहीं है।
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