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सिखों की धार्मिक भावनाएँ आहत करने के लिए कंगना पर एफ़आईआर

लगातार विवादों में रहने वाली कंगना रनौत के ख़िलाफ़ मंगलवार को सिख समुदाय की धार्मिक भावनाएँ आहत करने के लिए एफ़आईआर दर्ज की गई है। कंगना ने इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर सिख समुदाय के लोगों के लिए आपत्तिजनक बातें लिखी थीं।

यह एफ़आईआर अमरजीत सिंह संधू ने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और शिरोमणि अकाली दल के नेताओं के साथ मिलकर दर्ज कराई है। 21 नवंबर को शिकायत दी गई थी। उसके अनुसार, उन्हें कंगना रनौत की प्रोफाइल पर अंग्रेजी और हिंदी में लिखी एक आपत्तिजनक पोस्ट मिली थी। एफ़आईआर में कहा गया है कि उस पोस्ट से सिख धर्मावलंबियों की भावनाएँ आहत हुई हैं।

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महाराष्ट्र के गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने आपत्तिजनक बयान के मामले में एफ़आईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे। इसके बाद रिपोर्ट आई थी कि खार पुलिस स्टेशन में कंगना के ख़िलाफ़ मुकदमा दर्ज की जा रही है। 

कंगना ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा था, 'खालिस्तानी आतंकवादी आज सरकार की बांहें मरोड़ सकते हैं... लेकिन हमें एक महिला को नहीं भूलना चाहिए। वह अकेली महिला प्रधानमंत्री थी, जिसने इन्हें अपनी जूतियों के नीचे कुचल दिया था। ... अपनी जान की कीमत पर उन्हें मच्छरों की तरह कुचल दिया... लेकिन देश को टुकड़े-टुकड़े नहीं होने दिया... उनकी मृत्यु के दशकों बाद भी...उनका नाम सुनकर कांपते हैं... उन्हें उनके जैसे गुरुओं की ज़रूरत है।'

कंगना के इस बयान पर दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने कहा था कि कंगना रनौत ने जानबूझ कर ऐसा किया है और पूरे सिख समुदाय को अपमानित किया है। इसके अध्यक्ष और अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी इस अभिनेत्री के ख़िलाफ़ पुलिस में शिकायत की थी। 

दिल्ली के मंदिर मार्ग थाने में दर्ज कराई गई शिकायत में मनजिंदर सिंह ने कहा था कि कंगना रनौत ने सिखों के ख़िलाफ़ असम्मानजक, नफ़रत फैलाने वाली और अपमानजनक बातें कही हैं।

हाल ही में कंगना रनौत ने महात्मा गांधी पर भी एक बेहद आपत्तिनजक टिप्पणी की थी। कंगना ने महात्मा गांधी का नाम लिए बिना कहा, “जिन लोगों ने देश की आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ी, उन्हें उन लोगों ने अपने मालिकों को सौंप दिया जिनके पास अत्याचार करने वालों से लड़ने की हिम्मत नहीं थी लेकिन वे सत्ता के भूखे और चालाक लोग थे।” 

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कंगना की यह टिप्पणी उनके एक अन्य विवादित टिप्पणी की प्रतिक्रिया में आई थी। तब उन्होंने 'टाइम्स नाउ टीवी' के एक कार्यक्रम में 1947 में मिली आज़ादी को 'भीख में मिली आज़ादी' बताया था और कहा था कि असली आज़ादी 2014 में मिली। 2014 में ही देश में मोदी सरकार सत्ता में आई थी। 
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क़मर वहीद नक़वी
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