महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे-बीजेपी सरकार ने महा विकास आघाडी सरकार द्वारा विधान परिषद के लिए मनोनीत किए गए उम्मीदवारों की सूची को वापस ले लिया है। याद दिलाना होगा कि महा विकास आघाडी सरकार के दौरान कई बार अनुरोध करने के बाद भी राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने 12 नामों वाली फाइल को मंजूरी नहीं दी थी। विधान परिषद के इन 12 सदस्यों का चयन कला, संस्कृति, सामाजिक कार्य आदि के क्षेत्र से किया जाना था।
इन नामों में पूर्व सिने अदाकारा उर्मिला मातोंडकर भी शामिल थीं। मातोंडकर ने कांग्रेस को छोड़कर शिवसेना का दामन थाम लिया था।
ठाकरे कैबिनेट ने 12 लोगों को विधान परिषद का सदस्य मनोनीत करने की सिफ़ारिश साल 2020 में नवंबर के पहले सप्ताह में की थी। लेकिन राज्यपाल कोश्यारी हमेशा से इस पर आनाकानी करते रहे। महाराष्ट्र की विधान परिषद में 78 सदस्य हैं।
शिंदे सरकार के द्वारा ठाकरे सरकार द्वारा की गई सिफारिश को वापस लेने के लिए राज्यपाल कोश्यारी को पत्र लिखा गया था। राज्यपाल ने सरकार के इस फैसले को स्वीकार कर लिया है। शिंदे सरकार ने राज्यपाल से कहा है कि जल्द ही उन्हें उम्मीदवारों के नामांकन की नई सूची भेजी जाएगी।
एकनाथ शिंदे सरकार के इस फैसले के बाद महाराष्ट्र में शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट के बीच एक बार फिर से तलवारें खिंच सकती हैं।
याद दिला दें कि उद्धव ठाकरे के विधान परिषद का सदस्य बनने को लेकर भी विवाद हुआ था। राज्य कैबिनेट की ठाकरे को विधान परिषद का सदस्य मनोनीत करने की सिफ़ारिश पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने लंबे समय तक जवाब नहीं दिया था।
ठाकरे को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए विधानसभा या विधान परिषद में से किसी एक सदन का सदस्य निर्वाचित होना ज़रूरी था और तब विधान परिषद में मनोनयन कोटे की दो सीटें रिक्त थीं। राज्य मंत्रिमंडल ने राज्यपाल से इन दो में से एक सीट पर ठाकरे को मनोनीत किए जाने की सिफ़ारिश की थी। लेकिन राज्यपाल अड़ गए थे और तब शिवसेना ने उन पर राजभवन को राजनीतिक साज़िशों का केंद्र बना देने का आरोप लगाया था।
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इस मामले के आगे बढ़ने के बाद उद्धव ठाकरे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फ़ोन करना पड़ा था। उसके बाद राज्यपाल ने चुनाव आयोग को पत्र लिख कर राज्य विधान परिषद की रिक्त सीटों के चुनाव कराने का अनुरोध किया था।
महाराष्ट्र में जल्द ही बृहन्मुंबई महानगरपालिका यानी बीएमसी के चुनाव होने वाले हैं। कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के द्वारा महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के करीबी मिलिंद नार्वेकर से की गई मुलाकात को लेकर भी महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में जबरदस्त चर्चा है।
दोनों गुटों के बीच घमासान
बताना होगा कि महाराष्ट्र में जून के अंत में एकनाथ शिंदे के समर्थक विधायकों ने शिवसेना से बगावत की थी। इसके बाद राज्य में एकनाथ शिंदे और बीजेपी ने मिलकर सरकार बनाई थी। बीते दो महीनों में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के गुट के बीच यह सियासी घमासान काफी ज्यादा बढ़ गया है और सुप्रीम कोर्ट से लेकर चुनाव आयोग तक में इस घमासान से जुड़े कई मामलों में सुनवाई चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को संवैधानिक बेंच के पास भेज दिया है।
कुछ दिन पहले महाराष्ट्र विधानसभा के परिसर में जब विपक्षी दलों के विधायकों ने 50 खोखे एकदम ओके के नारे लगाए तो शिंदे गुट के विधायक बुरी तरह भड़क गए थे। बताना होगा कि एक खोखे का मतलब एक करोड़ होता है।
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