महाराष्ट्र में बनी बीजेपी-एकनाथ शिंदे सरकार ने तमाम मुश्किलों के बाद कैबिनेट का विस्तार तो कर लिया लेकिन विभागों के बंटवारे को लेकर मंत्रियों के नाराज होने की खबर सामने आई है। यह नाराजगी एकनाथ शिंदे गुट के वरिष्ठ विधायकों में है। बता दें कि 30 जून को महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
इसके बाद कई बार कैबिनेट का विस्तार टल गया था और तमाम मुश्किलों के बाद 9 अगस्त को कैबिनेट का विस्तार हुआ था जिसमें एकनाथ शिंदे गुट के और बीजेपी के नौ-नौ मंत्रियों ने शपथ ली थी।
शनिवार को मंत्रियों को विभाग भी बांट दिए गए लेकिन अब एकनाथ शिंदे गुट की ओर से मंत्री बने कुछ नेता इससे नाखुश दिख रहे हैं।
शिंदे गुट के मंत्री दादा भुसे और संदीपन भुमरे ने इस बात की शिकायत की है कि उन्हें उनका ‘हिस्सा’ नहीं मिला है। संदीपन पांच बार के विधायक हैं और उन्हें रोजगार गारंटी योजना और हॉर्टिकल्चर का मंत्रालय दिया गया है। लेकिन वह इस बात से नाराज हैं कि उन्हें बेहतर पोर्टफोलियो नहीं दिया गया।
इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, शिंदे गुट के कई मंत्री इस बात से नाराज हैं कि विधायक अब्दुल सत्तार को कृषि मंत्रालय दे दिया गया है जबकि वह साल 2019 तक शिवसेना में भी नहीं आए थे। शिंदे गुट के विधायकों की नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि बीजेपी ने लगभग सारे बड़े मंत्रालय हथिया लिए हैं।
उनका कहना है कि बीजेपी ने गृह, वित्त, राजस्व,, ग्रामीण विकास, पर्यावरण, पर्यटन और ट्राईबल डेवलपमेंट जैसे मंत्रालय अपने पास रख लिए हैं और कुछ ही बड़े मंत्रालय मुख्यमंत्री और उनके सहयोगियों के लिए छोड़े हैं।
सरकार के भविष्य पर सवाल
निश्चित रूप से उद्धव ठाकरे से बगावत करने वाले विधायक बीजेपी के साथ सरकार बनने के बाद खुश नहीं दिखाई दे रहे हैं। अभी उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट की ओर से चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट में भी लड़ाई लड़ी जा रही है। इसलिए अगर एकनाथ शिंदे अपने समर्थक विधायकों को मनाए रखने में कामयाब नहीं रहे तो यह सरकार कितने दिन चलेगी, यह नहीं कहा जा सकता।
ठाकरे गुट ने शिवसेना के मुखपत्र सामना में कहा है कि बीजेपी ने एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों का मजाक बनाकर रख दिया है और बीजेपी ने सारे बड़े मंत्रालय अपने पास रख लिए हैं जबकि शिंदे गुट के मंत्रियों को अहम मंत्रालय नहीं दिए गए हैं।
इस बारे में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि मंत्रालय अहम नहीं है, काम और जिम्मेदारी अहम है जिस मंत्री को जो मंत्रालय मिला है उसे उसके साथ न्याय करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मंत्री सिर्फ अपने विभाग का नहीं बल्कि पूरे राज्य का होता है।
ऐसे में बड़ा सवाल यही उठता है कि महाराष्ट्र में जोड़-तोड़ कर बनी यह सरकार कितने दिन चलेगी। जून में शिवसेना में हुई बगावत के बाद ही बड़ी संख्या में शिवसेना के विधायक, पार्षद और सांसद एकनाथ शिंदे के साथ आ गए थे लेकिन अगर यह सरकार लंबी नहीं चल पाई तो निश्चित रूप से ऐसे नेताओं के लिए ठाकरे गुट के पास जाना मुश्किल हो जाएगा और इससे इन नेताओं का सियासी करियर भी खतरे में पड़ जाएगा।
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