ऐसा ही कुछ बयान हाल ही में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी दिया था। शरद पवार ने न्यूज़ चैनल एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में कहा था कि जब महाराष्ट्र में सियासी घमासान चल रहा था तो एक ओर एनसीपी शिवसेना और कांग्रेस से बातचीत कर रही थी, वहीं दूसरी ओर बीजेपी से भी उनकी पार्टी की बातचीत चल रही थी। पवार ने इससे भी बड़ा ख़ुलासा यह किया था कि उन्हें इस बात की जानकारी थी कि उनके भतीजे अजीत पवार की बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से बातचीत चल रही थी। पवार ने कहा था कि हालाँकि उन्हें इस बात का बिलकुल भरोसा नहीं था कि अजीत पवार इतना बड़ा क़दम उठा लेंगे।
फडणवीस ने भी ठीक यही बात कहकर इस पर मुहर लगा दी है कि शरद पवार को इस योजना के बारे में जानकारी थी जबकि अजीत पवार की बग़ावत के बाद शरद पवार ने कहा था कि उनका अजीत के फ़ैसले से कोई लेना-देना नहीं है।
फडणवीस ने इंटरव्यू के दौरान कहा, ‘अजीत पवार मेरे पास आए और कहा कि वह कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार नहीं बनाना चाहते। अजीत ने यह भी कहा कि इन तीन पार्टियों (कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना) की सरकार स्थायी नहीं होगी। अजीत ने कहा कि वह अपनी इस योजना के बारे में शरद पवार को बता चुके हैं।’ फडणवीस ने आगे कहा, ‘अजीत ने यह भी बताया कि एनसीपी के विधायकों के उनके संपर्क में होने के बारे में शरद पवार को पता था।’
फडणवीस ने इस बात पर जोर दिया कि अजीत पवार अपनी सहमति से उनके पास आए थे। पूर्व सीएम ने सवाल उठाया, ‘क्या अजीत पवार पर कोई कुछ भी करने के लिए दबाव बना सकता है। वह अपनी इच्छा से आए थे और एनसीपी के कई विधायक उनका समर्थन कर रहे थे।’
यह पूछे जाने पर कि क्या शरद पवार वास्तव में इस डील के बारे में जानते थे। फडणवीस ने कहा, ‘इस बारे में आपको अजीत पवार से पूछना चाहिए। उन्होंने मुझे बताया था कि शरद पवार इस बारे में जानते थे। मैं सिर्फ़ इतना कह सकता हूँ कि पर्दे के पीछे कुछ बातें थीं और सही समय पर इनके बारे में ख़ुलासा करूंगा।’ फडणवीस ने अजीत के साथ शपथ लेने को लेकर अपने फ़ैसले का बचाव किया और कहा कि जब राज्य में राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया हो तो नई सरकार के बनने में समय नहीं लगना चाहिए।
महा विकास अघाडी की सरकार के द्वारा पहले से चल रहे कुछ प्रोजेक्ट्स की समीक्षा किये जाने को लेकर फडणवीस ने कहा कि इसमें कुछ भी ग़लत नहीं है लेकिन अगर आप एक ऐसा वातावरण बनाएंगे जहां पर बड़े प्रोजेक्ट को रोक दिया जाएगा तो राज्य में बड़े निवेशक कैसे आएंगे।
महाराष्ट्र बीजेपी में वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे और पंकजा मुंडे के असंतुष्ट होने को लेकर पूछे जाने पर फडणवीस ने कहा कि मुंडे ने इस बारे में स्पष्टीकरण दे दिया है। उन्होंने कहा कि इस बारे में मीडिया में बेवजह विवाद खड़ा किया गया है। फडणवीस ने कहा, ‘बीजेपी ने राज्य के ओबीसी समुदाय को सबसे बड़ा प्लेटफ़ॉर्म दिया है। हमारे 105 विधायकों में से 37 विधायक ओबीसी समुदाय से हैं। हमारे प्रधानमंत्री ख़ुद ओबीसी समुदाय से हैं।’
खडसे, पंकजा की नाराजगी की चर्चा
कुछ दिन पहले ही एकनाथ खडसे ने कहा था कि उन्हें और कुछ नेताओं को जानबूझकर चुनाव प्रचार से दूर रखा गया था। उन्होंने यह कहकर भी सनसनी फैला दी थी कि पंकजा मुंडे और उनकी बेटी रोहिणी खडसे की हार के लिए बीजेपी के ही कुछ नेता जिम्मेदार थे और उन्होंने इस बारे में बीजेपी नेतृत्व को बता दिया है। खडसे और पंकजा मुंडे के पिता गोपीनाथ मुंडे का महाराष्ट्र के ओबीसी समुदाय में व्यापक जनाधार रहा है।
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया से लेकर अख़बारों और टीवी में इस चर्चा ने जोर पकड़ा था कि पंकजा मुंडे और एकनाथ खडसे बीजेपी का दामन छोड़ सकते हैं। क्योंकि कहा जा रहा था कि पंकजा मुंडे की हार के पीछे कहीं न कहीं देवेंद्र फडणवीस का हाथ हो सकता है। पंकजा को उनके चचेरे भाई धनंजय मुंडे ने हराया है। फडणवीस और अजीत पवार के बीच सरकार बनाने को लेकर जो बातचीत हुई थी उसमें धनजंय मुंडे की अहम भूमिका रही थी और फडणवीस और धनजंय की नजदीकियों की ख़बर ख़ासी चर्चा में रही थी। वैसे भी, पकंजा कहीं न कहीं फडणवीस के लिए राजनीतिक चुनौती पैदा कर सकती थीं, इसलिए सवाल यह उठा था कि क्या पकंजा को चुनाव हरवाने के लिए साज़िश की गयी। वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे के आरोपों के बाद इस तरह की चर्चाओं को बल मिला।
खडसे का इस बार विधानसभा चुनाव में टिकट काट दिया गया था, हालाँकि बाद में उनकी बेटी को टिकट दिया गया था। खडसेराज्य के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं और वह चुनाव जीतने पर फडणवीस के लिए राजनीतिक चुनौती पेश कर सकते थे, इसलिए यह माना गया कि खडसे का टिकट फडणवीस के इशारे पर काटा गया है। फडणवीस पर यह आरोप लगता रहा है कि अपने 5 साल के कार्यकाल में उन्होंने अपने समकक्ष माने जाने वाले नेताओं का राजनीतिक क़द कम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
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