महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के मौके पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को झटका लगा है। फडणवीस ने अपने चुनावी हलफ़नामे में आपराधिक मामलों की जानकारी छुपाई थी जबकि इसी मामले में बांबे हाई कोर्ट से उन्हें क्लीन चिट मिल गई थी। हलफनामे में दो आपराधिक मामलों की जानकारी छिपाने के मामले में हाई कोर्ट के आदेश को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केस चलाने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की बेंच ने कहा कि फडणवीस को क्लीन चिट झूठे दस्तावेजों के आधार पर दी गई थी, इसलिए इसे रद्द किया जाता है।
मामले में याचिकाकर्ता सतीश उइके ने फडणवीस पर आरोप लगाया था कि उन्होंने 2014 में दाख़िल किये अपने चुनावी हलफ़नामे में उनके ख़िलाफ़ चल रहे दो आपराधिक मुक़दमों के लंबित रहने की बात को छुपा लिया था। कोर्ट ने निचली अदालत को इस मामले में फिर से सुनवाई करने के लिए कहा है।
याचिकाकर्ता ने कहा था कि फडणवीस ने जानकारी न देकर चुनावी नियमों का उल्लंघन किया है। फडणवीस के ख़िलाफ़ ये दो मुक़दमे 1996 और 1998 में दर्ज हुए थे। ये मुक़दमे धोखाधड़ी से संबंधित हैं लेकिन इन मामलों में आरोप तय नहीं हो पाये थे।
फडणवीस पर लगे आरोपों को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि मुख्यमंत्री को तुरंत अपने पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि फडणवीस को चुनाव लड़ने का कोई अधिकार नहीं है। मलिक ने कहा कि उनकी पार्टी कोर्ट के फ़ैसले का स्वागत करती है और कोर्ट के फ़ैसले के बाद उन्हें राजनीति में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
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