महाराष्ट्र में कई दलित अंबेडकरवादी समूहों ने विपक्षी गठबंधन को दिया समर्थन करने की घोषणा कर दी है। अंग्रेजी समाचार वेबसाइट द वायर की एक रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार, 22 अप्रैल को चार दर्जन से अधिक दलित अंबेडकरवादी (बौद्ध) संगठनों का एक बड़ा सम्मेलन हुआ। इसमें कहा गया कि लोकसभा का यह चुनाव संविधान और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है।
इस सम्मेलन में संयुक्त प्रगतिशील रिपब्लिकन पार्टी के गठन की घोषणा की गई। इसमें अगले चार चरण के चुनाव में कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना (उद्धव ठाकरे) की महाविकास अघाड़ी को अपना खुला समर्थन देने की घोषणा की है है।
एक प्रेस नोट में घोषणा की गई कि सत्तावादी ताकतों के पराजित होने के बाद, नवगठित पीआरपी डॉ. अंबेडकर की मूल रिपब्लिकन पार्टी के आदर्शों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करेगी।
गौरतलब है कि इस निर्णायक राजनीतिक कदम ने प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) को अलग-थलग कर दिया है, जिसने 7 अप्रैल को महाराष्ट्र में 36 सीटों पर स्वतंत्र रूप से लड़ने के फैसले की घोषणा की थी।
अंबेडकर के अकेले रहने के फैसले को लेकर वीबीए कार्यकर्ताओं में भी स्पष्ट असंतोष है, यह 22 अप्रैल को सोलापुर के घटनाक्रम से स्पष्ट है। वीबीए उम्मीदवार राहुल गायकवाड़ ने वीडियो जारी कर सोलापुर लोकसभा सीट से अपनी उम्मीदवारी वापस लेने की घोषणा की है।
उन्होंने कहा कि उनकी उम्मीदवारी से भाजपा की जीत हो सकती है, इसलिए वह इसके लिए जिम्मेदार नहीं होना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने बाबासाहेब के संविधान को बचाने के लिए अपना नामांकन रद्द करने का फैसला किया है।
दिग्गज पैंथर-रिपब्लिकन नेता श्यामदादा गायकवाड़ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि दलित बौद्ध समुदाय ने अपने निर्णायक वोट को विभाजित होने से रोकने के लिए यह निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि यह लोकसभा चुनाव राज्य में बौद्ध समुदाय के राजनीतिक मूल्य या महत्व को साबित करने के बारे में नहीं है।
यह चुनाव, देश के संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए है। मोदी और उनकी भाजपा को रोकना समय की मांग है। कोई अंबेडकरवादी या बहुजन पार्टी वर्तमान समय में महाराष्ट्र में अकेले अपने दम पर ज्यादा सीटें जीतने की स्थिति में नही है। पीएम मोदी और उनकी भाजपा को अकेले नहीं हराया जा सकता है।
द वायर की यह रिपोर्ट कहती है कि, इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में वरिष्ठ पैंथर नेता सयाजी वाघमारे, पूर्व आईपीएस अधिकारी सुधाकर सुरदकर, संजय अपारंती और वरिष्ठ पत्रकार सुनील खोबरागड़े मौजूद थे। प्रेस कॉन्फ्रेंस को सामूहिक रूप से संबोधित करते हुए वरिष्ठ दलित नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए भाजपा महायुति (महागठबंधन) के उम्मीदवारों को पूरी तरह से हराने का आह्वान भी किया है।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि इस सभा ने माना है कि यह गुटों में बंटकर इतना महत्वपूर्ण चुनाव लड़ने का समय नहीं है। 1990 में, यह एकजुट रिपब्लिकन पार्टी ही थी जिसने शिव सेना-भाजपा गठबंधन को सत्ता में आने से रोका था।
विदर्भ में पहले चरण के मतदान से पहले चर्चित विचारक डॉ. यशवंत मनोहर और डॉ. सुखदेव थोराट के नेतृत्व में 80 संगठनों ने जनजागरण किया था। इन संगठनों ने भी बीजेपी को हराने के लिए को प्रोग्रेसिव रिपब्लिकन पार्टी को समर्थन देने का ऐलान किया है। चुनाव के बाद इस पार्टी का गठन होता दिखेगा।
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