ईडी ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के निजी सचिव संजीव पलांडे और निजी सहायक कुंदन शिंदे के ख़िलाफ़ 100 करोड़ रुपये की कथित उगाही और मनी लांड्रिंग के मामले में चार्जशीट दायर कर दी है। ईडी ने चार्जशीट में दोनों आरोपियों पर रिश्वत के पैसों को जमा करने और उन्हें काले धन से सफेद करने का आरोप लगाया है। ईडी ने पलांडे और शिंदे को जून में पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था।
ईडी के सूत्रों का कहना है कि चार्जशीट कुंदन शिंदे और संजीव पलांडे के ख़िलाफ़ ही दायर की गई है क्योंकि अभी तक 100 करोड़ रुपये की कथित उगाही और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अनिल देशमुख से पूछताछ नहीं हुई है।
ईडी ने की थी छापेमारी
इसी मामले में ईडी अनिल देशमुख को पांच बार समन जारी कर चुकी है लेकिन वह ईडी के सामने पेश नहीं हुए हैं। इससे पहले ईडी अनिल देशमुख के घर और दफ्तर पर भी छापेमारी कर चुकी है। देशमुख पर हुई कार्रवाई के बाद ही ईडी ने देशमुख के निजी सचिव और निजी सहायक को गिरफ्तार किया था।
सूत्रों के मुताबिक़, ईडी ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि अनिल देशमुख ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया। करीब पांच हजार से ज्यादा पन्नों की चार्जशीट में ईडी ने कहा है कि मुंबई क्राइम ब्रांच की क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के तत्कालीन हेड और बर्खास्त एपीआई सचिन वाज़े के जरिये मुंबई के कई पब और बार से 4 करोड़ 70 लाख रुपये इकट्ठा किए थे।
ईडी ने चार्जशीट में बताया है कि मुंबई के कई पब और बार से पैसे वसूलने का काम संजीव पलांडे एवं कुंदन शिंदे ने किया था। बर्खास्त एपीआई सचिन वाजे की गिरफ्तारी के बाद उससे हुई पूछताछ में खुलासा हुआ था कि 4 करोड़ 70 लाख रुपये की राशि का कलेक्शन संजीव पलांडे और कुंदन शिंदे ने किया था।
अदालतों से देशमुख को झटका
देशमुख को इस मामले में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लग चुका है। देशमुख ने ईडी द्वारा उनके ख़िलाफ़ दर्ज किए मामले को रद्द करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी लेकिन कोर्ट देशमुख की याचिका को खारिज कर चुका है। फिलहाल देशमुख की एक याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
आपको बता दें कि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपये की वसूली का आरोप लगाया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अनिल देशमुख के ख़िलाफ़ सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की थी जिसके बाद जांच में हुए खुलासों के बाद देशमुख और उनके सचिवों के ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया था।
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