न्यायिक हिरासत में कथित तौर पर मोबाइल इस्तेमाल करने के कारण अर्णब गोस्वामी को नवी मुंबई की तलोजा जेल में शिफ़्ट किया गया है। पहले उन्हें अलीबाग के एक स्कूल में कामचलाउ तौर पर बनाए गए क्वॉरंटीन सेंटर में रखा गया था। रविवार सुबह उन्हें इस सेंटर से जेल ले जाया गया। आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में वह गिरफ़्तार किए गए हैं।
दो साल पुराने मामले में अर्णब सहित तीन लोगों को इसी हफ़्ते गिरफ़्तार किया गया है। यह मामला कोंकोर्ड डिज़ाइन के मैनेजिंग डायरेक्टर अन्वय नाइक अपनी माँ कुमुद नाइक से जुड़ा है। दोनों मई 2018 में रायगढ़ ज़िले में अलीबाग के अपने बंगले में मृत पाए गए थे। मरने के पहले अन्वय ने ख़ुदकुशी नोट छोड़ा था। इसमें उन्होंने अपनी मौत के लिए 3 लोगों को ज़िम्मेदार बताया था जिनमें एक नाम अर्णब गोस्वामी का भी था।
इस मामले में तब आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में 2018 में अर्णब गोस्वामी सहित तीन लोगों पर दर्ज किए गए थे। आरोप था कि अर्णब ने अपने दफ़्तर का काम करवाने के बाद अन्वय नाइक के 83 लाख नहीं दिये। पुलिस ने ख़ुदकुशी का मामला दर्ज कर जाँच शुरू की लेकिन उसने उस केस को पिछले साल यह कहते हुए बंद कर दिया था कि अर्णब गोस्वामी और दो अन्य के ख़िलाफ़ चार्जशीट पेश करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। लेकिन जब सरकार बदली तो अन्वय की बेटी अदन्या ने इस मामले में केस को दोबारा खोलने के लिए प्रयास शुरू किया।
इसी साल मई महीने में महाराष्ट्र सरकार ने इस केस को खोलने का आदेश दिया था। इस मामले में उन्हें 4 नवंबर को गिरफ़्तार किया गया। कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
गिरफ़्तारी के बाद से ही अर्णब की ओर से ज़मानत के लिए गुहार लगाई जा रही है, लेकिन इस मामले में अब तक न तो स्थानीय कोर्ट से राहत मिली है और न ही बॉम्बे हाई कोर्ट से।
आख़िरी बार शनिवार को हुई सुनवाई में तमाम दलीलों को सुनने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में तुरंत किसी भी प्रकार की राहत देने से इनकार कर दिया। अब इस मामले में सोमवार को सुनावई होनी है।
लेकिन इस बीच अर्णब की जेल बदले जाने की रिपोर्ट आई है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जाँच अधिकारी और रायगढ़ अपराध शाखा के अधिकारी जमील शेख ने कहा, 'शुक्रवार देर शाम हमें पता चला कि गोस्वामी सोशल मीडिया पर सक्रिय थे, किसी के मोबाइल फ़ोन का उपयोग कर रहे थे। हमने बुधवार को उनके वर्ली निवास से गिरफ्तार किए जाने पर उनके निजी मोबाइल को जब्त कर लिया था। मामले के जाँच अधिकारी के तौर पर मैंने अलीबाग जेल के अधीक्षक को पत्र लिखकर जाँच रिपोर्ट माँगी कि कैसे वह क्वॉरंटीन सेंटर में मोबाइल उपयोग कर रहे थे। इसके बाद हमने उन्हें रविवार सुबह तलोजा जेल में स्थानांतरित करने का फ़ैसला किया।'
रिपोर्ट के अनुसार, तलोजा जेल में ले जाए जाने के दौरान गोस्वामी ने चलती पुलिस वैन के अंदर से चिल्लाते हुए आरोप लगाया कि शनिवार की शाम को अलीबाग जेलर ने उनके साथ मारपीट की थी और उन्हें जबरन तलोजा जेल ले जाया जा रहा है। वह पुलिस वैन के अंदर से चिल्लाए, 'मेरी जान को ख़तरा है, कृपया अदालतों को मेरी मदद करने के लिए कहें।' उन्होंने यह भी कहा कि जब मैं अपने वकील से बात करना चाहता था, तो मुझे जेलर द्वारा जेल में डाल दिया गया।
बता दें कि अर्णब गोस्वामी की गिरफ़्तारी के मामले ने राजनीतिक सरगर्मियाँ भी पैदा की हैं। बीजेपी प्रेस की आज़ादी का हवाला देते हुए अर्णब गोस्वामी के समर्थन में आ गई है। उनके समर्थन में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह सहित तमाम केंद्रीय मंत्री, योगी आदित्यनाथ, शिवराज सिंह चौहान, मनोहरलाल खट्टर जैसे मुख्यमंत्री और दूसरे बीजेपी नेता भी उतरे हैं और उद्धव ठाकरे सरकार पर निशाना साधा है।
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