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महाराष्ट्र: अमित शाह ने किया राज्यपाल का बचाव, कहा- सबको पूरा समय मिला

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र में चल रही राजनीतिक उठापटक पर पहली बार प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने महाराष्ट्र में राज्यपाल के राष्ट्रपति शासन लगाने के फ़ैसले का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि जितना ज़्यादा समय महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए दिया गया उतना किसी राज्य में पहले नहीं दिया गया। उन्होंने शिवसेना पर भी ज़ोरदार हमला बोला। गठबंधन टूटने के सवाल पर शाह ने कहा कि पहले देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनाने की बात थी लेकिन शिवसेना चुनाव बाद नई माँग करने लगी। अमित शाह की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब शिवसेना लगातार बीजेपी पर 'धोखा' देने का आरोप लगा रही है। वह लगातार कहती रही है कि उनके बीच 50-50 का फ़ॉर्मूला तय हुआ था। वह एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने के लिए अभी भी संघर्ष कर रही है। कई मुद्दों पर उनके बीच सहमति नहीं बन पाई है। अब महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग चुका है और शिवसेना पर्याप्त समय नहीं दिए जाने का आरोप लगा रही है। सरकार बनाने के लिए शिवसेना को 24 घंटे का समय दिया गया था। 

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पर्याप्त समय नहीं दिए जाने के आरोपों पर शाह ने 'एएनआई' को दिए इंटरव्यू में कहा कि इससे पहले किसी भी राज्य में सरकार बनाने के लिए इतना ज़्यादा समय नहीं दिया गया था। उन्होंने कहा कि 18 दिन दिए गए थे। इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'राज्यपाल ने विधानसभा का सत्र ख़त्म होने के बाद ही आमंत्रित किया। न तो शिवसेना और कांग्रेस-एनसीपी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया और न ही हमने। आज भी कोई दल संख्या बल के साथ राज्यपाल के पास पहुँच सकता है।' शाह ने यह भी कहा कि राज्यपाल ने किसी के लिए भी अवसर को ख़ारिज़ नहीं किया है। उन्होंने कपिल सिब्बल के बारे में कहा कि इतने बड़े वकील एक बच्चे की तरह तर्क पेश कर रहे हैं कि 'हमें सरकार बनाने का मौक़ा नहीं दिया गया।' शिवसेना के साथ गठबंधन टूटने पर शाह ने कहा, 

चुनाव से पहले प्रधानमंत्री और मैं आम लोगों के बीच कई बार कह चुके थे कि यदि हमारा गठबंधन चुनाव जीतता है तो देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री होंगे, तब किसी ने आपत्ति नहीं की। अब वे लोग नई माँगों के साथ आ रहे हैं जो हमें स्वीकार्य नहीं है।


अमित शाह (शिवसेना के साथ गठबंधन टूटने पर बोले)

बता दें कि शिवसेना लगातार कहती रही है कि इस बार मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा। 

शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं। महाराष्ट्र में चुनावी नतीजे आने के बाद से ही शिवसेना मुख्यमंत्री पद की कुर्सी को लेकर अड़ी हुई है। शिवसेना कहती रही है कि लोकसभा चुनाव के दौरान उसका बीजेपी के साथ 50-50 का फ़ॉर्मूला तय हुआ था। शिवसेना के मुताबिक़, इस फ़ॉर्मूले के तहत मुख्यमंत्री का पद दोनों पार्टियों के पास ढाई-ढाई साल के लिये रहेगा। लेकिन बीजेपी मुख्यमंत्री पद के बँटवारे के लिये तैयार नहीं हुई और अंतत: बीजेपी नेताओं ने राज्यपाल के पास जाकर सरकार बनाने में अपनी अक्षमता ज़ाहिर कर दी। इसके बाद राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। इन घटनाक्रमों के बाद ही शिवसेना ने केंद्र सरकार में अपनी पार्टी के कोटे से गए मंत्री को इस्तीफ़ा दिलवा दिया और बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए से अलग होने की घोषणा कर दी।

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राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर आलोचना झेलने के मुद्दे पर अमित शाह ने कहा कि इस मुद्दे पर विपक्ष राजनीति कर रहा है और एक संवैधानिक पद को इस तरह से राजनीति में घसीटना, मैं नहीं मानता कि लोकतंत्र के लिए स्वस्थ परंपरा है। बता दें कि विपक्षी दल महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर हुए इस पूरे राजनीतिक उठापटक में राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठाते रहे हैं। 

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क़मर वहीद नक़वी
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