मराठी भाषी बेलगाम, करवार और निपानी इलाक़ों को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच दशकों से चल रहा विवाद एक बार फिर उभर कर सामने आ गया है। महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री ने इसकी शुरुआत की है और कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने इस पर पलटवार किया है।
कर्नाटक का पलटवार
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा ने इस पर पलटवार करने में समय नहीं लगाया। उन्होंने इसके तुरन्त बाद कहा, "मैं महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री के बयान की निंदा करता हूं। पूरी दुनिया को पता है कि महाजन समिति की रिपोर्ट फ़ाइनल है। अब इस पर आग भड़काना ग़लत है।"सिद्धारमैया ने इसका भी हवाला दिया कि किस तरह कर्नाटक सरकार ने सीमावर्ती मराठी भाषियों के कल्याण से जुड़ी योजनाएं चलाई थीं।
कर्नाटक ने किया खारिज
कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री लक्ष्मण सवडी ने भी महाराष्ट्र के दावे को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, "हमें महाजन समिति पर भरोसा है जिसने कहा था कि बेलगावी कर्नाटक का हिस्सा है। हम अजित पवार के बयान की भर्त्सना करते हैं औ जल्द ही इस पर एक चिट्ठी लिखेंगे।"केंद्र सरकार की से गठित महाजन समिति ने 1972 में अपनी रिपोर्ट संसद को सौंप दी थी। इसमें कहा गया था कि बेलगवी कर्नाटक का हिस्सा है। लेकिन इसके साथ ही लगभग 260 गाँवों के हस्तातंतरण की सिफ़ारिश की गई थी।
आज़ादी के समय से ही है विवाद
बता दें कि 1947 से पहले महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्य अलग नहीं थे। तब बॉम्बे प्रेसीडेंसी और मैसूर स्टेट हुआ करते थे। आज के कर्नाटक के कई इलाक़े उस समय बॉम्बे प्रेसीडेंसी में थे। आज के बीजापुर, बेलगावी (पुराना नाम बेलगाम), धारवाड़ और उत्तर कन्नड जिले बॉम्बे प्रेसीडेंसी में ही थे। बॉम्बे प्रेसीडेंसी में मराठी, गुजराती और कन्नड भाषाएं बोलने वाले लोग रहा करते थे।हिंसक विरोध
महाराष्ट्र और केरल, दोनों की राज्य सरकारों ने आयोग की रिपोर्ट का विरोध किया था। महाराष्ट्र सरकार ने इस रिपोर्ट को 'बिना तर्क वाली' और 'एकपक्षीय' क़रार दिया था। इस विरोध के चलते केंद्र सरकार ने रिपोर्ट को लागू नहीं किया। 1983 में बेलगाम में पहली बार नगर निकाय के चुनाव हुए। इन चुनावों में महाराष्ट्र एकीकरण समिति के प्रभाव वाले उम्मीदवार ज्यादा संख्या में जीतकर आए।नगर निकाय और 250 से ज़्यादा मराठी बहुल गाँवों ने राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा कि उन्हें महाराष्ट्र में मिला लिया जाए। इसके विरोध में 1986 में कर्नाटक में कई जगह हिंसा हुई, जिनमें 9 लोग मारे गए थे।
मामला अदालत में
2005 में बेलगाम नगर निकाय ने फिर से महाराष्ट्र में मिलने की सिफ़ारिश वाला प्रस्ताव पास कर कर्नाटक सरकार को भेजा। कर्नाटक सरकार ने इस प्रस्ताव को अंसवैधानिक बताकर रद्द कर दिया। साथ ही बेलगाम नगर निकाय को भी भंग कर दिया। महाजन एकीकरण समिति के नेताओं ने इसका विरोध किया और इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। समिति ने कर्नाटक सरकार पर मराठियों की आवाज़ दबाने का आरोप लगाया।विधानसभा सत्र
2006 में बेलगावी पर अपना दावा मजबूत करने के लिए कर्नाटक सरकार ने विधानसभा का एक पांच दिवसीय विशेष सत्र बेलगावी में बुलाया था। साथ ही तय किया कि विधानसभा का शीत सत्र यहीं बुलाया जाएगा।2012 में कर्नाटक सरकार ने बेलगावी में सुवर्ण विधानसौध नाम से एक नई विधानसभा की इमारत का उद्घाटन किया। यहां विधानसभा का शीत सत्र बुलाया जाता है।
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