जांच एजेंसी ईडी ने वरिष्ठ पत्रकार राणा अय्यूब के 1.77 करोड़ रुपये जब्त कर लिए हैं। राणा अय्यूब पर मनी लॉन्ड्रिंग करने और दूसरों की मदद करने के नाम पर इकट्ठे किए गए पैसे में हेराफेरी करने का आरोप लगाया गया है। ईडी की ओर से आदेश जारी किया गया है कि राणा अय्यूब और उनके परिवार की एफडी और बैंक खातों में जमा रकम को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत अटैच कर लिया जाए।
यहां यह बताना होगा कि राणा अय्यूब मोदी सरकार के कुछ फ़ैसलों के खिलाफ काफी मुखर रही हैं।
राणा अय्यूब के खिलाफ यह कार्रवाई गाजियाबाद पुलिस की ओर से दर्ज की गई एक एफआईआर के आधार पर की गई है। यह एफआईआर हिंदू आईटी सेल नाम के एक एनजीओ के संस्थापक विकास सांकृत्यायन के द्वारा बीते साल सितंबर में दर्ज कराई गई थी।
राणा अय्यूब ने ईडी के सामने कुछ दस्तावेज रखे थे जिसमें उन्होंने 31 लाख के खर्च का हिसाब किताब दिया था। लेकिन जांच के बाद ईडी का कहना है कि कुल खर्च सिर्फ 17.66 लाख का ही हुआ है।
ईडी ने कहा है कि राणा अय्यूब के द्वारा राहत व मदद के काम के नाम पर फर्जी बिल बनाए गए और निजी हवाई यात्राएं की गईं। एजेंसी ने कहा है कि उसकी जांच में यह पूरी तरह साफ है कि इस पैसे को दान के नाम पर इकट्ठा किया गया और ऐसा योजना बनाकर किया गया।
जांच एजेंसी ने कहा है कि इकट्ठा किए गए पूरे पैसे का इस्तेमाल उस काम के लिए नहीं किया गया जिसके नाम पर यह धन इकट्ठा किया गया था। ईडी ने कहा है कि वरिष्ठ पत्रकार राणा अय्यूब ने इकट्ठा किए गए पैसे में से 50 लाख रुपये की एफडी करवा ली और इसे राहत व मदद के काम के लिए इस्तेमाल नहीं किया।
ईडी को यह भी पता चला है कि राणा अय्यूब ने पीएम केयर्स फंड और सीएम रिलीफ फंड में 74.50 लाख रुपये दिए।
इस मामले में राणा अय्यूब ने कहा था कि Ketto के जरिये मिले चंदे में से एक भी पैसे की गड़बड़ी नहीं की गई है।
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